ट्रेन में काउंटर से वेटिंग टिकट लेकर कर सकते हैं सफर
नई दिल्ली.: भारतीय रेलवे का काफी बड़ा नेटवर्क है. रोजाना लाखों लोग से सफर करते हैं. आपको पता होगा कि रेलवे में दो तरह से रिजर्वेशन की सुविधा मिलती है. पहला आप सीधा किसी रेलवे स्टेशन की रिजर्वेशन विंडो से जाकर टिकट ले सकते हैं, दूसरा घर बैठकर ऑनलाइन IRCTC से टिकट बुक कर सकते हैं. लेकिन इन दोनों टिकट में एक खास अंतर होता है. अगर आप स्टेशन से टिकट लेते हैं तो वो एक तरह का कंफर्म टिकट होता है. आइए बताते हैं कैसे.
आपको बता दें अगर आप स्टेशन से वेटिंग में रिजर्वेशन कराते हैं, तो आप रिजर्वेशन वाले कोच में यात्रा कर सकते हैं. हालांकि वेटिंग लिस्ट में अगर टिकट है तो आपको बर्थ की सुविधा नहीं मिलेगी, लेकिन आप खड़े होकर यात्रा कर सकते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि IRCTC से अगर आप टिकट लेते हैं और टिकट वेटिंग में है तो लिस्ट तैयार होने से पहले अगर क्लियर हो गया तब तो ठीक है लेकिन अगर क्लियर नहीं होता तो उसे कैंसल कर दिया जाता है. इसके अलावा आप ट्रेन में यात्रा भी नहीं कर सकते.
दरअसल, रेलवे जो ई-टिकट जारी करता है उसमें सीट नहीं अलॉट होती है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोग एक ही टिकट की फोटोकॉपी कराकर यात्रा कर सकते हैं. क्योंकि इंटरनेट बुकिंग से जनरेट होने वाला ई-टिकट या तो A-4 साइज के पेपर पर होता है या फिर मैसेज के जरिए. ऐसे में कई लोग फर्जी पेपर या मैसेज के जरिए यात्री होने का दावा कर सकते हैं. जिसे जांचने का टीटीई के पास कोई सबूत नहीं होता है. ऐसे में बहुत से यात्रियों की बाढ़ आ जायेगी, जिससे दूसरे यात्रियों को असुविधा हो सकती है. यही वजह है कि रेलवे ई-टिकट को वेटिंग क्लियर न होने पर कैंसिल कर देता है. और यात्री को टिकट का रिफंड भी दे देता है.
वहीं, अगर आप विंडो से वेटिंग का टिकट लेते हैं, तो इसे कैंसल नहीं किया जाता. क्योंकि अगर टिकट कैंसिल कर भी दिया जाए तो रेलवे को पैसे रिफंड करने में काफी परेशानी होगी. ऐसे में वो यात्री को कहां-कहां खोजता फिरेगा. साथ में केवल जिनकी वेटिंग कंफर्म न हुई हो उन्हें टिकट का पैसा लौटाने के लिए ही रेलवे को बहुत ज्यादा लोगों की आवश्यकता होगी. ऐसी किसी मेहनत से बचने के लिए रेलवे उन सभी लोगों को रेल के रिजर्वेशन वाले डिब्बे में यात्रा करने देता है जिन्होंने विंडो से टिकट लिया होता है और उनका टिकट कंफर्म नहीं हुआ होता है.