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टैक्स फ्री में मनोरंजन के सारे रस

लखनऊ। संगीत नाटक अकादमी में टैक्स फ्री नाटक का मंचन किया गया। मूल रूप से एक मराठी नाटक है जोकि चंद्रशेखर फणसलाकार द्वारा लिखा गया है। नाटक टैक्स फ्री अंधों के जीवन पर आधारित एक हास्य नाटक है। नाटक में कांताबाई नाम की महिला अंधों के मनोरंजन हेतु ब्लाइंड्स क्लब चलाती है ,उस क्लब में पहले से मौजूद सदस्य शर्मा जी,कोहली ,दीपू नए सदस्य सदाशिव काले के साथ गंभीर मजाक करते हैं, की अंधों की बली बाबा भैरव नाथ को देने से उनका अंधापन दूर हो जाएगा इसीलिए उन सब ने मिलकर ब्लाइंड्स क्लब की स्थापना की उससे पहले 2 बली दी जा चुकी है और काले तीसरा है जिसकी आज बली दी जाएगी, ये सुनकर काले घबराकर क्लब से भागने को तैयार होता है, फिर सभी बताते हैं कि यह सब क्लब को रोमांचित बनाए रखने के लिए किया गया है। जीवन यात्रा के मध्य में अपनी आंखों की रोशनी खो जाने का दर्द भी दिखाई देता है एवं मुश्किल हालातों में भी अपनी जिंदगी को कैसे बेहतर जिया जाए यह भी दिखाते हैं। नाटक के माध्यम से कलाकार दिखाते हैं कि वह अंधे होकर भी अपनी जिंदगी को कितनी बेहतर तरीके से जी रहे हैं, परंतु कुछ लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याओं से हार कर आत्महत्या कर लेते हैं जो कि कितनी गलत बात है। कलाकार यह भी दिखाते हैं कि आज तक बहुत कम सुनने को ऐसा मिलता है कि किसी अंधे ने या किसी दिव्यांग ने आत्महत्या की। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने यह भी दिखाने का प्रयास किया है कि हमें इन दिव्यांगों से सीख लेनी चाहिए की मुश्किल हालातों में भी यह कितनी खुशनुमा जिंदगी गुजारते हैं। आज का नाटक कभी हंसाता है कभी रुलाता है तो कभी डराता है, मनोरंजन के सारे रस है इस नाटक के अंदर।

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