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जानें क्या है मिस्ट्री, यहां यूपी का जो भी CM आया छिन गई कुर्सी
नोएडा. नरेंद्र मोदी 5 अप्रैल को नोएडा के सेक्टर 62 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे। एक बार फिर अखिलेश यादव बतौर सीएम वहां मौजूद नहीं रहेंगे। हालांकि, वह विदेश दौरे पर हैं, 8 अप्रैल को प्रदेश लौटेंगे। लेकिन यहां बता दें कि सीएम बनने के बाद आजतक अखिलेश नोएडा नहीं गए। फिर चाहें वो दादरी कांड का समय हो या मोदी का दौरा। इसके पीछे की वजह अंधविश्वास माना जाता है। dainikbhaskar.com ने ज्योतिष से बता करके इस अंधविश्वास के पीछे की वजह जानने की कोशिश की।
क्या है नोएडा का अंधविश्वास?
– नोएडा के बारे में कहा जाता है, जब भी प्रदेश का कोई सीएम यहां आया, वह दोबारा सत्ता में नहीं लौटा।
– पिछले 25 सालों से अंधविश्वास की यही धारणा चली आ रही है।
– मायावती ने साल 2011 में यह अंधविश्वास तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वह 2012 के चुनाव में वापस सत्ता में नहीं आईं।
– इससे पहले कई सीएम वहां गए और अपनी कुर्सी गंवा बैठे, जिसमें वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह का नाम शामिल है।
– नोएडा के बारे में कहा जाता है, जब भी प्रदेश का कोई सीएम यहां आया, वह दोबारा सत्ता में नहीं लौटा।
– पिछले 25 सालों से अंधविश्वास की यही धारणा चली आ रही है।
– मायावती ने साल 2011 में यह अंधविश्वास तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वह 2012 के चुनाव में वापस सत्ता में नहीं आईं।
– इससे पहले कई सीएम वहां गए और अपनी कुर्सी गंवा बैठे, जिसमें वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह का नाम शामिल है।
गठन के समय थी वृश्चिक राशि
– ज्योतिष राहुल अग्रवाल के अनुसार, अगर नोएडा के स्थापना दिवस 17 अप्रैल 1976 को उसका जन्म मानकर गणना करें, तो पता चलता है कि उस दिन गोचर में वृश्चिक राशि उदित हो रही थी।
– नोएडा की नाम राशि भी वृश्चिक ही है।
– इसी तिथि को आधार मानकर गणना करने पर पता चलता है कि नोएडा गठन के समय सत्ता सुख का कारक ग्रह सूर्य केतू के साथ ग्रहण योग बनाकर छठें भाव में था।
– छठा घर पतन का भी घर होता है।
– यहां पर सूर्य का केतू के साथ होना और राहु की पड़ रही सप्तम दृष्टि के अलावा दूसरे शत्रु ग्रह शनि की दशम दृष्टि भी शासन के ग्रह सूर्य को बिल्कुल कमजोर कर रही है।
– ज्योतिष राहुल अग्रवाल के अनुसार, अगर नोएडा के स्थापना दिवस 17 अप्रैल 1976 को उसका जन्म मानकर गणना करें, तो पता चलता है कि उस दिन गोचर में वृश्चिक राशि उदित हो रही थी।
– नोएडा की नाम राशि भी वृश्चिक ही है।
– इसी तिथि को आधार मानकर गणना करने पर पता चलता है कि नोएडा गठन के समय सत्ता सुख का कारक ग्रह सूर्य केतू के साथ ग्रहण योग बनाकर छठें भाव में था।
– छठा घर पतन का भी घर होता है।
– यहां पर सूर्य का केतू के साथ होना और राहु की पड़ रही सप्तम दृष्टि के अलावा दूसरे शत्रु ग्रह शनि की दशम दृष्टि भी शासन के ग्रह सूर्य को बिल्कुल कमजोर कर रही है।
– ज्योतिषीय दृष्टि में यही प्रमुख कारण है कि जो भी सूबे का मुखिया यहां आता है, उसे दोबारा सत्ता का सुख नहीं मिलता।
सीएम ने कहा था, नोएडा जाकर तोड़ूंगा अंधविश्वास
– यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अप्रैल 2015 में लखनऊ स्थित अपने आवास से नोएडा स्थित एक निजी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया था।
– इस मौके पर उन्होंने कहा था, तमाम अंधविश्वासों के चलते नोएडा जाने पर पाबंदी है।
– इसलिए लखनऊ से ही यूनिवर्सिटी की आधारशिला रख रहा हूं।
– पुराने लोगों ने इस तरह का अंधविश्वास फैलाया है, लेकिन मैं जल्द ही नोएडा जाकर इस अंधविश्वास को तोड़ूंगा।
– यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अप्रैल 2015 में लखनऊ स्थित अपने आवास से नोएडा स्थित एक निजी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया था।
– इस मौके पर उन्होंने कहा था, तमाम अंधविश्वासों के चलते नोएडा जाने पर पाबंदी है।
– इसलिए लखनऊ से ही यूनिवर्सिटी की आधारशिला रख रहा हूं।
– पुराने लोगों ने इस तरह का अंधविश्वास फैलाया है, लेकिन मैं जल्द ही नोएडा जाकर इस अंधविश्वास को तोड़ूंगा।
राजनाथ सिंह ने भी किया था दिल्ली से उद्घाटन
– नोएडा अंधविश्वास के टोटके का असर राजनाथ सिंह पर भी दिखा था।
– सीएम रहते हुए उन्होंने नोएडा में बने फ्लाईओवर का उद्घाटन दिलली से किया था।
– यही नहीं, बड़े दबाव के बाद भी निठारी काण्ड में मुलायम सिंह यादव अपनी पिछली सरकार में नोएडा नहीं गए थे।
– 1999 में तत्कालीन सीएम राम प्रकाश गुप्ता जब नोएडा गए, फिर दोबारा सीएम नहीं बन सके।
– नोएडा अंधविश्वास के टोटके का असर राजनाथ सिंह पर भी दिखा था।
– सीएम रहते हुए उन्होंने नोएडा में बने फ्लाईओवर का उद्घाटन दिलली से किया था।
– यही नहीं, बड़े दबाव के बाद भी निठारी काण्ड में मुलायम सिंह यादव अपनी पिछली सरकार में नोएडा नहीं गए थे।
– 1999 में तत्कालीन सीएम राम प्रकाश गुप्ता जब नोएडा गए, फिर दोबारा सीएम नहीं बन सके।