गैरकानूनी कब्जे वाली जगहों पर पुल बना रहा चीन, भारत ने दिया….

नई दिल्ली, एजेन्सी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि गैरकानूनी कब्जे वाली जगहों पर पुल बना रहा चीन। श्रीलंका की नौसेना ने दिसंबर में 60 से अधिक भारतीय मछुआरों को अवैध रूप से मछलियों का शिकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और उनकी कई नाव भी अपने कब्जे में ले ली थीं।
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने इन भारतीय मछुआरों की शीघ्र रिहाई का मुद्दा उठाया, जिसके चलते 12 मछुआरों को रिहा किया जा चुका है। अरिंदम बागची ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भारतीय उच्चायोग बाकी मछुआरों की जल्द रिहाई के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका प्रशासन की ओर से 18 से 20 दिसंबर के बीच तमिलनाडु के 68 मछुआरों और 10 नौकाओं को हिरासत में लेने के मामले के संबंध में भारत सरकार ने श्रीलंका की सरकार से बात की है। इन मछुआरों को जरूरत की सभी सामग्रियां उपब्ध कराई जा रही हैं। उधर, गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के वीडियो को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस विषय पर मीडिया में आईं रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हैं।
श्रीलंका में कैद भारतीय मछुआरों की रिहाई के प्रयास जारी
मंत्रालय ने कहा कि हमने ऐसी रिपोर्ट देखी हैं जिनमें चीनी पक्ष ने पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के गैरकानूनी कब्जे वाली कुछ स्थानों का नाम अपने हिसाब से बदला था। हमने अस्थिर क्षेत्रीय दावों का समर्थन करने के लिए इस तरह की हास्यास्पद कवायद पर अपने विचार भी व्यक्त किए थे। भारत ने इसे लेकर कहा था कि मनगढ़ंत नाम रख देने से तथ्य और असलियत नहीं बदल जाती है। मंत्रालय ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अन्य विवादों में फंसने के स्थान पर चीन हमारे साथ काम करेगा और दोनों देशों की सीमा पर संघर्ष के बिंदुओं पर स्थिति को सामान्य करने की दिशा में काम करेगा।
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भारत में मीडिया संस्थानों ने दावे का विरोध करने वाली तस्वीरें जारी की हैं। वहीं, सार्क शिखर सम्मेलन के आयोजन को लेकर विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अभी तक सार्क शिखर सम्मेलन के आयोजन की अनुमति देने के लिए कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। पैंगोंग त्सो झील पर चीन की ओर से पुल बनाए जाने की खबरों पर बागची ने कहा कि भारत सरकार ऐसी स्थानों पर करीबी से नजर बनाए हुए है। इस पुल का निर्माण ऐसे इलाकों में किया जा रहा है जिन पर चीन का करीब 60 साल से गैरकानूनी कब्जा रहा है।
सरकार हमारे सुरक्षा हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर गतिरोध हुआ है और हिंसक झड़पें भी हुई हैं। वहीं, चीनी दूतावास की ओर से सांसदों को लिखे गए पत्र को लेकर मंत्रालय ने कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित है।
चीनी पक्ष को यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और जनता के प्रतिनिधि के रूप में भारतीय सांसद अपनी मान्यताओं के साथ गतिविधियों को अंजाम देते हैं।हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष भारतीय सांसदों की सामान्य गतिविधियों पर विवाद फैलाने से और हमारे द्विपक्षीय संबंधों में और तनाव लाने की स्थिति से बचेगा।