अंतराष्ट्रीय

गायब हो गया भूत-प्रेतों की तरह 22 किलोमीटर लंबा आइलैंड

आइलैंड: ये बड़ी अजीब बात है कि जिस जगह को 2 सदी तक दुनिया इसी धरती पर मानती थी, वो वास्तव में कभी थी ही नहीं. जिस आइलैंड के नाम को साल 1774 में स्वीकार लिया गया था, वो दरअसल कभी मौजूद ही नहीं था. ये अपने आपमें अनोखी घटना है, लेकिन प्रशांत महासागर के बीच खोजे गए सैंडी आइलैंड का सच आज की तारीख में यही है.

ब्रिटिश कैप्टन जेम्स कुकने 18वीं सदी में इस आइलैंड को ढूंढने का दावा किया था और इसे सैंडी आइलैंड का नाम दिया गया था. हालांकि इसकी रहस्यमय स्थिति को देखते हुए ही इसे प्रेत द्वीप भी कहा जाने लगा था. एक वक्त में गूगल मैप्स पर भी ये आइलैंड दिखाई देता था, लेकिन बाद में जब रिसर्चर्स ने इसका अस्तित्व ही नकार दिया, तो गूगल पर भी ये नहीं दिखने लगा.ऑस्ट्रेलिया के किनारे पर मौजूद सैंडी आइलैंड के बारे में कैप्टन जेम्स कुक का दावा था कि 22 किलोमीटर लंबा और 5 किलोमीटर चौड़ा था. साल 1876 में वेलोसिटी नाम के जहाज ने सैंडी आइलैंड के मौजूद होने का दावा किया गया था. यहां तक कि 19वीं सदी में बने ब्रिटेन और जर्मनी के नक्शों में भी ये आइलैंड स्थित था. बाद जब इसे लेकर संदेह व्यक्त किया गया तो फ्रेंच हाइड्रोग्राफिक सर्विस ने आइलैंड को अपने नौटिकल चार्ज से साल 1979 में बाहर कर दिया. फिर साल 2012 में ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिकों ने भी इसका अस्तित्व नकार दिया.

ऑस्ट्रेलियन शोधकर्ताओं ने इसका पता लगाने के लिए सैंडी आइलैंड का रुख किया, तो उन्हें वहां कुछ भी नहीं मिला. आखिरकार उन्होंने ‘सैंडी द्वीप: एक मृत्युलेख’ नाम के एक पेपर में लिखा कि ये प्रेत द्वीप कभी मौजूद ही नहीं था. यहां पर समुद्र की गहराई नापने की कोशिश करने पर पता चला कि यहां गहराई 4300 फीट से ज्यादा नहीं थी. ऐसे में उन दावों का क्या, जिन्होंने ये आइलैंड देखा था ? इस पर यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की चीफ जियोलॉजिस्ट मारिया सेटन का कहना है कि उनसे कोई गलती हुई होगी या फिर उन्होंने कोई पत्थर या प्यूमिक राफ्ट देखा होगा.

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