क्यों बढ़ते हैं सर्दी में हार्ट अटैक के मामले

हार्ट अटैक:कुछ लोगों के लिए सर्दी का मौसम सुहावना होता है. उन्हें पहाड़ों पर बर्फ की लिपटी हुई चादरें लुभाती जरूर है लेकिन इसके जोखिम भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं हैं. सीधे-सीधे कहें, तो तापमान में गिरावट का मतलब है शरीर में कई हलचलों का जन्म लेना. चूंकि हमारा शरीर एक नियत तापमान पर संतुलित रहता है. जैसे ही तापमान में गिरावट आती है शरीर अपने आवश्यक अंगों को गर्म रखने के लिए इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम को सक्रिय कर देता है. यही से हार्ट अटैक के जोखिम का खेल भी शुरू हो जाता है. सर्दी में शरीर के अंदर कई बदलाव होते हैं. सर्दी में हीट कंजर्व करने के लिए प्रोटेक्टिव मैनेजमेंट के तहत शरीर के अंदर कैटेकोलामाइन का स्तर बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर की दर बहुत तेज हो जाती है. यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को भी कई गुना बढ़ा देती है. खासकर उन लोगों में जिन्हें दिल से संबंधित पहले से जटिलताएं हैं.
सर्दी में तापमान में गिरावट के कारण अचानक बॉडी संतुलित नहीं रहती है. इससे बॉडी पर अनावश्यक स्ट्रेस बढ़ता है. जब शरीर अनावश्यक तनाव या भय की स्थिति में आता है, तो कैटेकोलामाइन उन स्थितियों से लड़ने के लिए बॉडी को तैयार करता हैं. तनाव की स्थिति से निपटने के लिए एड्रीनल ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में कैटेकोलामाइन बनाता है. मुख्य रूप से तीन प्रकार के कैटेकोलामाइन होते हैं. इपीनेफ्राइन या एड्रीनलीन , नोरेपीनेफ्राइन और डोपामाइन . तापमान में गिरावट से मुकाबले के लिए एड्रीनलीन ज्यादा सक्रिय हो जाता है. जब शरीर में कैटेकोलामाइन का स्तर बढ़ता है तो हार्ट रेट , ब्लड प्रेशर और सांस लेने की दर भी बढ़ जाती है. यही कारण है कि सर्दी में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ जाता है.
सर्दी के मौसम में लोग अचानक भोजन ज्यादा करने लगते हैं. दिन छोटा होने के कारण अधिकांश लोग घूमना-टहलना भी छोड़ देते हैं. एक्सरसाइज कम करने लगते हैं. कुल मिलाकर उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है. इससे कोलेस्ट्रॉल और बीपी भी बढ़ने लगता है. कुछ व्यक्तियों का वजन भी बढ़ने लगता है. गर्मी में फिजिकल एक्टिविटी से शरीर के अंदर से पसीने के रूप में सोडियम और वाटर निकलता रहता है. सर्दी में फिजिकल एक्टिविटी नहीं होने के कारण से शरीर के अंदर से सोडियम नहीं निकल पाता है. इन सब स्थितियों में पेरिफेरल ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है. इसका नतीजा यह होता है हार्ट पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देता है.
सर्दी में उनलोगों पर हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है जिन्हें दिल से संबंधित जटिलताएं पहले से हैं. यानी जिन लोगों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक आ चुका है. उनलोगों को सर्दी में सतर्कता के साथ रहना चाहिए. जो लोग डायबेटिक है, उन्हें भी सर्दी में हार्ट अटैक का खतरा है. इसके अलावा हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों को भी सर्दी में बचकर रहने की जरूरत है. बुजुर्ग आबादी पर भी सर्दी में हार्ट अटैक का जोखिम रहता है. इसलिए सबसे ज्यादा सतर्कता बुजुर्गों को बरतनी चाहिए.
सबसे पहले ठंडे एक्सपोजर से बचना चाहिए. खान-पान पर कंट्रोल करना चाहिए. सर्दी के मौसम में खाने के लिए ज्यादा जी ललचाता हो, तो खुद पर कंट्रोल करें. खासकर जिन लोगों पर हार्ट अटैक का ज्यादा जोखिम हैं, वे लोग सर्दी में भी कम खाएं. बेहतर रहेगा कि थोड़े-थोड़े समय पर थोड़े-थोड़े खाएं. सर्दी में कभी भी बाहर निकलें, गर्म कपड़े पहन कर निकलें. बेशक सर्दी है और दिन छोटा हो रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि फिजिकल एक्टिविटी को घटा दें. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें.
जो भी भोजन करें कम करें. ऐसी कोई चीज न खाएं जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ता हो. फैट वाली चीजें घी, तेल बहुत कम खाएं. घी से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. डॉ नित्यानंद त्रिपाठी बताते हैं कि यह एक मिथ है कि घी शरीर को गर्म रखता है, दरअसल, घी भी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देते है. इसलिए घी से भी परहेज करें. कोशिश करें कि हरी साग-सब्जियों का सेवन ठंड में ज्यादा करें. सीजनल सब्जियां और सीजनल फ्रूट्स का सेवन करें. ड्राई फ्रूट का भी सीमित मात्रा में सेवन करें.