कैप्टन की लोकप्रियता ’बीजेपी के लिए हो सकता है गेमचेंजर

चंडीगढ़. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के साथ कटु अध्याय को समाप्त कर दिया है और वो आगामी विधानसभा चुनावों में नई पार्टी बनाकर उतरने की तैयारी में है. नई पार्टी की घोषणा के साथ ही कैप्टन ने बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन की तरफ भी इशारा किया है. बीजेपी भी कैप्टन के जरिए राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेगी. हालांकि कैप्टन ने किसान आंदोलन के समाधान जैसी शर्त भी रखी है.
पंजाब बीजेपी के महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है- कैप्टन ने बीजेपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की इच्छा जाहिर की है जो कि स्वागत योग्य कदम है. पंजाब के लोगों की भलाई के लिए कोई भी गठबंधन हमें स्वीकार है.
दरअसल राज्य में बीजेपी और अकाली दल के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर संबंध टूट गए. अब बीजेपी लीडरशिप को उम्मीद है कि कैप्टन उसे एक ऐसा चेहरा मुहैया करवा सकते हैं जो कांग्रेस, आप, अकाली दल-बीएसपी का विकल्प बन सकता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल ने साथ मिलकर 117 में से 18 सीटें जीती थीं. बीजेपी ने दावा किया था कि अकाली दल की सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी की वजह से ऐसा हुआ. बीजेपी को उस चुनाव में तीन सीटें हासिल हुई थीं.
शर्मा ने कहा कि पंजाब कांग्रेस में उथल-पुथल के बावजूद कैप्टन अमरिंदर की लोकप्रियता बनी हुई है. वो कहते हैं- सबसे बड़ी बात ये है कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर वो सख्त स्टैंड लेते हैं. बीजेपी की सोच भी कुछ ऐसी ही है. पंजाब में कैप्टन साहब का बहुत बड़ा कद है. सभी समुदाय उनकी इज्जत करते हैं. अगर उनके साथ गठबंधन होता है तो हम राज्य में मजबूत शक्ति बनकर उभरेंगे.
शर्मा का कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद अभी चलता रहेगा. आगामी महीनों में दोनों के बीच का विवाद सार्वजनिक रूप से सामने आ जाएगा. वहीं अन्य विकल्प AAP के पास भी एक लोकप्रिय चेहरे की कमी है. इसलिए इस गठबंधन (कैप्टन-बीजेपी) से राज्य के लोगों को फायदा मिलेगा.
शर्मा मानते हैं कि कुछ इलाकों में पार्टी को एक सेक्शन से विरोध का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन कई ऐसा इलाके हैं जो बीजेपी के मजबूत गढ़ हैं. वो कहते हैं- गठबंधन पर बातचीत तो केंद्रीय लीडरशिप करेगी लेकिन ग्राउंड पर बीजेपी के कार्यकर्ता उन पार्टियों के साथ मिलकर काम करेंगे जो पंजाब के भले के बारे में सोचती हैं.
किसानों के मुद्दे को सुलझाने की कैप्टन की शर्त पर शर्मा कहते हैं- केंद्र सरकार पहले भी किसानों से वार्ता कर चुकी है. अगर उसी दिशा में प्रयास किए जाएं तो किसानों के फायदे के लिए कुछ समाधान की उम्मीद की जा सकती है.