कृषि मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘वैज्ञानिकों की बात किसानों के साथ कार्यक्रम का किया शुभारंभ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आज योजना भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘वैज्ञानिकों की बात किसानों के साथ कार्यक्रम के 5वें संस्करण का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि आज प्रदेश के समस्त जनपदों में इस कार्यक्रम के माध्यम से कुल 1 लाख से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि किसानों को स्वाभाविक रूप से वैज्ञानिकों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों से लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में अधिक से अधिक किसानों को कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से एक साथ जुडऩे की आवश्यकता है। श्री शाही ने बताया कि कोविड-19 के आपदा काल में भी किसानों की मेहनत एवं प्रदेश सरकार के प्रयासों से प्रदेश में रिकॉर्ड स्तर पर खाद्यान्न उत्पादन हुआ है और इस बार गेंहू की भी रिकॉर्ड खरीद की गई है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में अपनी मजबूती के कारण ही प्रदेश भली प्रकार से इस आपदा का सामना करने में सक्षम हो सका है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के इस आपदा काल को हमें अवसर में बदलने की आवश्यकता है। जिसकी शुरुआत भारत सरकार द्वारा मंडी कानून में संशोधन के साथ कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि एफपीओ गठन का उद्देश्य किसानों को व्यापारी के रूप में तैयार करना है। एफपीओ के माध्यम से किसान अपने उत्पाद का मूल्य स्वयं तय कर सकता है, जिसका सीधा लाभ उसे स्वयं होगा।कृषि मंत्री ने क्लस्टर खेती पर बल देते हुए कहा कि हमें ओडीओपी की तर्ज पर जनपद की मांग के अनुसार अथवा जनपद के प्रसिद्ध पैदावार के आधार पर बाजार तैयार करने की आवश्यकता है।
उन्होंने इस अवसर पर जनपद के कृषि अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत शेष लाभार्थी किसानों का डाटा शीघ्रातिशीघ्र अंकित कराकर उन्हें योजना का लाभ अनुमन्य कराया जाए। इसके अतिरिक्त जिन लाभार्थी किसानों का डाटा मिसमैच है, उनका निस्तारण शीघ्र सुनिश्चित कराएं। उन्होंने इस कार्य को 15 अगस्त तक पूर्ण कर प्रदेश के किसानों को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिए जाने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को कृषि यंत्रों के वितरण एवं सोलर पंप की स्थापना हेतु निर्धारित लक्ष्यों को दिसम्बर 2020 तक पूर्ण किये जाने के निर्देश दिए। कृषि राज्यमंत्री, लाखन सिंह राजपूत ने कहा कि किसानों को कृषक उत्पादक संगठनों के साथ जोडऩे के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसान जब तक एफपीओ के प्रति जागरूक नहीं होगा, तब तक उसे इसके लाभ का अनुमान नहीं होगा। श्री राजपूत ने वर्तमान में एफपीओ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृषि अधिकारियों से अपेक्षा की, कि वे अधिक से अधिक किसानों को एफपीओ के साथ जुडऩे के लिए प्रेरित करें। अपर मुख्य सचिव, डॉ0 देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना काल में भी प्रदेश का कृषि क्षेत्र मजबूती के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा मंडी शुल्क समाप्त करने के संबंध में लिए गए निर्णय का लाभ किसानों को सीधे मिले, इसके लिए प्रदेश में कृषक उत्पादक संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण है। कृषक उत्पादक संगठन के माध्यम से किसान अपने उत्पाद सीधे बाजार में भेज सकते हैं। उन्होंने कृषि विभाग, गन्ना एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के साथ साथ सभी किसानों को बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश में टिड्डी दल के प्रकोप पर नियंत्रण हेतु उनके द्वारा किये गए प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि ये आप सबके प्रयासों का ही फल है कि किसी भी जनपद में टिड्डी दलों के आक्रमण से कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होने इस अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारियों से अपेक्षा की, कि वे किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक करने हेतु अभियान चलाएं, ताकि किसी भी जनपद में पराली जलाने की घटना न सुनाई पड़े।