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कर्नाटक में मतांतरणरोधी कानून: सजा 10 साल की

बेलागवी। कर्नाटक के प्रस्तावित मतांतरणरोधी विधेयक में अधिकतम दस साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रविधान किया गया है। अनुसूचित जाति, जनजाति और नाबालिगों का मतांतरण कराने पर सजा और सख्त होगी। राज्य की भाजपा सरकार मौजूदा सत्र में ही इस विधेयक को पारित कराना चाहती है।
मतातंविधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मत परिवर्तन कराने वाले को किसी का मत बदलने की सूचना संबंधित फार्म पर एक महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य अधिकारी को देनी होगी जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के पद से नीचे का न हो। द कर्नाटक प्रोटेक्शन आफ राइट टू फ्रीडम आफ रिलिजन बिल-2021 की ड्राफ्ट कापी के अनुसार यदि विवाह के एकमात्र उद्देश्य से मतांतरण कराया जाता है तो ऐसे विवाह को किसी तरह की कानूनी मान्यता नहीं होगी।

 

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एक बार यह कानून प्रभावी हो जाने के बाद वे लोग जो गलतबयानी, बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या शादी से, या किसी अन्य तरह से मतांतरण के लिए उकसाते या साजिश करते हैं इसके दायरे में आ जाएंगे। हालांकि, यह अधिनियम किसी को अपने पिछले मत में तत्काल पुनरू शामिल होने पर अधिनियम के दंड प्रविधानों को आकर्षित नहीं करेगा। प्रस्तावित कानून के तहत कोई भी पीडि़त व्यक्ति, उसके माता-पिता, भाई, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति, जो उससे खून, शादी या गोद लेने से संबंधित है, ऐसे मतांतरण की प्राथमिकी दर्ज करा सकता है।

बता दें कि कर्नाटक में सोमवार से शुरू हुए विधानसभा शीत सत्र के दौरान मतांतरण विरोधी विधेयक के साथ कर्नाटक की भाजपा सरकार आने वाले दिनों में लव जिहाद पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक भी पेश करेगी। राज्य के ऊर्जा मंत्री वी. सुनील कुमार ने यह जानकारी दी। मुस्लिमों द्वारा हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर उन्हें मतांतरण के लिए मजबूर करने के कथित अभियान को दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लव जिहाद कहते हैं।

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