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ऑक्सीजन कालाबाजारी की उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से जांच कर दोषियों को सजा दी जाए-अशोक गोयल

 

 

नई दिल्ली। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष अशोक गोयल देवराहा ने दिल्ली में ऑक्सीजन की कालाबाजारी के कारण आई आपदा का आरोप केजरीवाल सरकार पर लगाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार 976 मीट्रिक टन की मांग कर रही थी लेकिन बावजूद उसके आम जनता ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ती रही। इसलिए भाजपा हमेशा से ही ऑक्सीजन ऑडिट की बात करती रही है। ऑक्सीजन कालाबाजारी की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

अशोक गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार के बार-बार आग्रह करने के बाद भी केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर गंभीर नहीं थी। जब 90 हजार से एक लाख कोरोना के केस दिल्ली में थे तब प्रतिदिन 433.1 मीट्रिक टन ऑक्सीजन (आवंटन 590 मीट्रिक टन) की खपत हो रही थी और केजरीवाल सरकार 976 मीट्रिक टन की मांग कर रही थी। वहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में 70 हजार से 80 हजार कोरोना केस थे और वहां 230-300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति से ही कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा था। जबकि दिल्ली में प्रति व्यक्ति खपत सबसे अधिक आवंटन (61 मीट्रिक टन) भी था। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी के कारण चरमराती व्यवस्थाओं को सुधारने के बजाए केजरीवाल सरकार का पूरा ध्यान ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर था जिसे दिल्लीवासियों ने देखा जब मुख्यमंत्री के करीबी व्यवसायी नवनीत कालरा को दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी के जुर्म में गिरफ्तार किया। कालरा के पास से 524 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किए गए थे। नवनीत कालरा को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली निर्माता के तौर पर परिचय कराया था और वही शख्स आज दिल्लीवालों की जान का सौदा कर रहा है।

अशोक गोयल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता इमरान हुसैन, प्रवीण कुमार और प्रीति तोमर को उनके पास ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाया वैसे ही केजरीवाल सरकार की 976 मीट्रिक टन की मांग घटकर 582 मीट्रिक टन पर आ गई क्योंकि इन्हें अपनी कलई खुलने का डर था। यही नहीं आइनॉक्स एक ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी है जो इस कोरोना काम में भारत के लगभग 800 से ज्यादा अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई करती है। उन सभी अस्पतालों को इस कंपनी की सर्विस से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन दिल्ली स्थित अस्पतालों और अरविंद केजरीवाल को इस कंपनी से बहुत परेशानी है। आईनॉक्स का हाई कोर्ट में सीधा कहना था कि दिल्ली सरकार पिज्जा डिलीवरी की तरह अपने ऑक्सीजन सप्लायर को बदलती है। दिल्ली के 45 अस्पतालों में आइनॉक्स ऑक्सीजन सप्लाई करता था लेकिन वह संख्या दिल्ली सरकार ने घटाकर सिर्फ 17 कर दी। यानी एक तरफ केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन की आर्टिफिशियल शोर्टेज कर रही थी, दूसरी तरफ उनके गुर्गे कालाबाजारी में लिप्त थे, जिसका जवाब दिल्ली की जनता को देना पड़ेगा।

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