ऐतिहासिक नदी किलकिला को पुनर्जीवित करने की उठी मांग
पन्ना। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण किलकिला नदी अपने अस्तित्व के लिये जूझ रही है तथा शहर के गंदे नाले समाहित होने के कारण यह नदी प्रदुषण के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। किलकिला नदी को बचाने के लिये लम्बे समय से मांग उठती रही है और प्रशासनिक स्तर पर भी किलकिला को बचाने और पुनर्जीवित करने के लिये बड़े-बड़े वादे किये गये परंतु किलकिला नदी की दशा जस की तस बनी हुई है। कभी साफ़ और स्वच्छ पानी के लिए जीवनदायिनी किलकिला नदी जानी जाती थी किंतु इस समय किलकिला का पानी बेहद विषैला हो चुका किलकिला नदी का पानी जानवरों के पीने योग्य भी नहीं रह गया है।
ऐसे में एक बार फिर समाजसेवी मनोज गुप्ता ने किलकिला को पुनर्जीवित करने के लिये प्रशासन से गुहार लगाईं है। उन्होंने पन्ना कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए मांग की है कि पन्ना शहर पवित्र एवं पर्यटन नगरी है तथा शहर की पवित्र नदी किलकिला इन दिनों बेहद दूषित होती जा रही है। उक्त नदी में शहर के कई गंदे नालों का पानी मिल रहा है। किलकिला नदी के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। प्रणामी संप्रदाय के लोग दुनियां भर से नदी को देखने आते है, व उक्त नदी का पानी लेकर जाते है। वहीं उक्त नदी पर बने बडी देवी कुण्ड में बनने वाले जल प्रपात को देखने इन दिनों पर्यटक भी पहुंच रहे हैं। पन्ना शहर में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके बावजूद शहर में चारों ओर गंदगी नजर आती है। शहर के अपशिष्टों का उचित प्रबंधन नहीं हो रहा है शहर के आसपास शहर का कचरा डाला जा रहा है तथा शहर में जगह-जगह कचरे को जलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं।
ज्ञापन में उल्लेख है कि किलकिला नदी वर्तमान में पूरी तरह से गंदे नाले के रूप में तब्दील हो चुकी है। शहर का गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे नदी में मिलता है। शहर के तीन प्रमुख नाले एवं कुंजवन,गहरा मोहनपुरवा आदि ग्राम पंचायतों का दूषित जल भी नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। पन्ना में नालों के दूषित पानी के ट्रीटमेंट के लिए अभी तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गये हैं। जबकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा नदियों में दूषित जल प्रवाहित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। बिना ट्रीटमेंट के नालों का पानी नदी में मिलने पर संबंधित निकाय को जुर्माना के प्रावधान भी किए गये हैं। बावजूद इसके पन्ना नगर पालिका द्वारा आज दिनांक तक इन नालों के प्रबंधन के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है।
समाजसेवी श्री केशरवानी ने कहा है कि शहर में कहने को कचरा प्रसंस्करण केन्द्र बनाया गया है लेकिन यह केन्द्र बंद पड़ा है और शहर के कचरे को मुख्य मार्गों के किनारे ही फैंका जा रहा है ऐसे में शहर के आसपास गंदगी बढ़ रही है नगर पालिका इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। पवित्र नदी किलकिला को पुनर्जीवित करने तथा शहर व ग्रामीण इलाकों के नालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तत्काल लगाने हेतु योजना स्वीकृत कराई जाए ताकि ऐतिहासिक किलकिला नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके।