एक मकान का बचा यह प्रवेश द्वार, आई बाढ़ सबकुछ बहा ले गई
कोटा. राजस्थान के कोटा संभाग में आई विनाशकारी बाढ़ ने ऐसा कहर बरपाया कि इसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. यहां खेत के खेत पानी में समा गये. जगह-जगह हजारों कच्चे घर जमींदोज हो गए. गांव के गांव उजड़ गए. जिले के इटावा क्षेत्र का बोरदा भी ऐसा ही एक गांव है जो पूरी तरह से बाढ़ की भेंट चढ़ गया. इस गांव में पिछले दिनों में जलस्तर 10 से 12 फीट तक बढ़ गया था. इससे गांव में भारी तबाही हुई. गांव में करीब 400 कच्चे मकान हैं. उनमें से लगभग आधे से अधिक ढह गये. यहां एक मकान ऐसा भी है जिसमें चार दिन पहले तक सात कमरे थे. वह आज मलबे का ढेर बन गया है. बचा है तो सिर्फ इस मकान का प्रवेश द्वार जो तबाही की कहानी बयां कर रहा है.
यह मकान लटूरलाल का था. इलाके में बाढ़ से हुई तबाही का जायजा लेने पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लटूरलाल के घर पहुंचकर उन्हें ढांढस बंधाया. बिरला ने पहले हेलीकॉप्टर से इटावा और सुल्तानपुर क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया. इसके बाद वह इटावा से सड़क मार्ग से सीधे बोरदा गांव पहुंचे. बिरला लटूरलाल के घर गए. बिरला ने लटूरलाल के कंधे पर हाथ रखा और ढांढस बंधाया. बिरला ने कहा कि कुदरत की मार झेल रहे ग्रामीणों को मदद, सहानुभूति और संबल की आवश्यकता है. केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग लेकर इनकी सहायता की ही जाएगी. हम भी इन लोगों की हरसंभव मदद के लिए तैयार हैं.
लोकसभा अध्यक्ष महिला कृषक सुनीता के घर भी गए. सुनीता ने लहसुन की फसल को घर में यह सोच कर सहेज कर रखा था कि मानसून के बाद अच्छे भाव मिलने पर बेचेगी, लेकिन होनी को जैसे कुछ और ही मंजूर था. पूरी की पूरी फसल पानी में गलकर खराब हो गई. स्पीकर को अपनी पीड़ा बताते हुए सुनीता फफक पड़ी. बिरला ने उन्हें धीरज रखने को कहा. बिरला जब बस्ती में पहुंचे तो तबाही का मंजर दिखाई दिया. एक भी घर ऐसा नहीं था जो सुरक्षित हो. अधिकांश मकान मलबे का ढेर बन चुके थे. जो मकान अब भी खड़े हैं उनकी हालत ऐसी नहीं कि उसमें रहा जाए. बिरला ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि मुश्किल की इस घड़ी में वह उनके साथ खड़े हैं. मुआवजे के साथ-साथ उनके लिए छप्पर की भी व्यवस्था करने के प्रयास किए जाएंगे.