श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज के पहले तीन मैचों में जीत हासिल कर टीम इंडिया ने सीरीज अपने नाम कर ली है। ऐसे में कैप्टन कोहली ने भी तीसरे वनडे में जीत के बाद कहा था कि टीम इंडिया अगले दो मैचों में अपनी बेंच स्ट्रेन्थ को आजमाएगी ऐसे में बांए हाथ के चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव को मौका मिलना पक्का है। कुलदीप ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत की और अपने छह महीने लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर के बारे में बात की…
टेस्ट और वनडे क्रिकेट में क्या फर्क महसूस हो रहा है ?
टेस्ट क्रिकेट में जब वनडे में आते हैं तो सब कुछ बदल जाता है। रेड बॉल से व्हाइट बॉल में आना और गेंदबाजी करना। लिमिटेड क्रिकेट में बैट्समैन अटैक करता है आपको टेस्ट क्रिकेट में विकेट के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। वनडे क्रिकेट थोड़ा डिफिकल्ट है क्योंकि चैलेंजेस ज्यादा रहते हैं। दस ओर का आपका कोटा रहता है 50 ओवर का मैच रहता है तो आवियसली बैट्समैन रन बनाने की सोचता है और आपकी गेंदबाजी पर चांस लेने की कोशिश करता है।
आपका प्लान पहले विकेट लेने का रहता है या रन रोकने का, इसमें संतुलन कैसे बनाते हैं
ये डिपेंड करता है कि स्थिति कैसी है लेकिन मेरा स्टाइल रन रोकने वाला नहीं है। मैं रन रोकने की कोशिश करूं तो शायद रन और खा जाऊं। तो मैं हमेशा विकेट के लिए देखता हूं। जिससे टीम को फायदा हो और दूसरी टीम दबाव में भी आए। जब आप विकेट निकाल के देते हो तो टीम के लिए बहुत अच्छा होता है जितने विकेट निकालोगे तो दूसरी टीम भी दबाव में आती है।
आपका माइंडसेट वनडे क्रिकेट को लेकर ज्यादा इन ट्यून नहीं है
मैं बहुत सिंपल सोचता हूं विकेट लेना एक गेंदबाज की आदत होना चाहिए। यदि आप अपनी टीम को विकेट निकालकर नहीं दे रहे हैं तो आप नॉर्मल गेंदबाज हैं। मेरे हिसाब से आप टीम के काम नहीं आ रहे हैं। यदि आप दो तीन विकेट निकाल के दे रहे हैं तो टीम को फायदा हो रहा है उससे। मेरी जैसी गेंदबाजी है मैं हमेशा विकेट के लिए सोचता हूं।
वेस्टइंडीज और श्रीलंका की विकेटों में कितना फर्क है?
वेस्टइंडीज में विकेट थोड़े स्लो थे। श्रीलंका के विकेट तकरीबन भारत जैसे ही हैं। जैसे ये बैटिंग के लिए ज्यादा फेवर करते हैं। वेस्टइंडीज के विकेट बैटिंग के लिए ज्यादा टफ थे और स्पिनर्स के पास ज्यादा टर्न भी नहीं था। बॉल वहां ड्रिफ्ट हो रहा था। श्रीलंका के विकेट बैटिंग के लिए थोड़ा बेहतर हैं।
पिछले 6 महीने में टेस्ट और वनडे डेब्यू किया एक गेंदबाज के रूप में मैच्योरिटी में कितना फर्क आया है?
स्पिनर्स जैसे-जैसे खेलते हैं उतना इम्प्रूवमेंट आता है। पिछले छह महीने में मैंने बॉलिंग के प्वाइंट ऑफ व्यू से बहुत कुछ सीखा है। कि आपको कैसे प्रेशर हैंडल करना है। जैसे -जैसे आप खेलोगे आपके सामने अच्छे बैट्समैन आएंगे। कभी आप प्रेशर फील करोगे तो उससे कैसे ओवरकम करना है। ये सब चीजें खेलने से आती हैं। पिछले 6 महीने में काफी कुछ सीखा है उसे नेट्स में आजमाता हूं। जैसे -जैसे खेलता जाऊंगा काफी अनुभव आएगा।
अभी टीम में अक्षर पटेल और यजुवेंदर चहल अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं ऐसे में आप टीम में कंपटीशन को कैसे देखते हैं?
दोनों टीम के लिए अच्छाकर रहे हैं। ये टीम इंडिया के लिए अच्छी बात है कि टीम इंडिया के पास तने ऑप्शन उपलब्ध हैं। आप कभी भी चाहें किसी को भी खिला सकते हैं। ये अच्छा है लेकिन इसे मैं अपने लिए पॉजिटिव लेता हूं कि जब मुझे खेलने का मौका मिलेगा तब मैं अपना बेस्ट दूं और टीम के प्रॉस्पेक्ट के हिसाब से भी अच्छा है कि दोनों स्पिनर्स अच्छा कर रहे हैं। और आने वाले समय में बहुत क्रिकेट है खेलने को। टीम में कंपटीनशन तो है लेकिन आपको हमेशा पॉजिटिव सोचना है। और हमेशा फ्यूचर के बारे में सोचना है कि जब मौका मिलेगा तो अच्छा करेंगे।
आप जब टीम में आए तब अनिल भाई कोच थे अब शास्त्री हैं दोनों पूर्व स्पिनर रहे हैं। दोनों की एप्रोच में क्या फर्क है?
दोनों एक जैसे हैं मुझे नहीं लगता है कि दोनों में कोई फर्क है। मैं इस बारें में ज्यादा सोचता नहीं हूं। मैं हमेशा इस बात पर फोकस करता हूं कि अपनी टीम के लिए क्या इम्प्रूव कर सकता हूं। डेफिनेटली मैं सर से बात करता हूं। अनिल सर से भी बात करता था ये अच्छी चीज है कि दोनों सपोर्टिव हैं मेरे लिए तो ये खुशी की बात है।
विराट कोहली क्या सलाह देते हैं ?
विराट भाई कहते हैं कि दूसरी चाजों पर ध्यान देने की जगह अपनी फिटनेस पर फोकस करो। वो बॉलिंग और फिटनेस पर ध्यान देने पर जोर देते हैं। कप्तान आपमें स्पिनर्स पर भरोसा करते हैं ये अच्छा है।
विराट ने कहा है कि वो मैदान पर सबसे फिट टीम देखना चाहते हैं। तो आपके अंदर क्या इम्प्रूवमेंट है?
मेरे अंदर बहुत सुधार है। जब मैं अंडर-19 में खेलता था तब फिट नहीं था लेकिन अब मैं ज्यादा फिट महसूस करता हूं। इसके लिए लगातार ट्रेनिंग करता हूं। जैसे-जैसे मैं गेम खेलता रहूंगा उतना फिट होता रहूंगा। ये अच्छे संकेत हैं।
प्रैक्टिस से पहले माही भाई के साथ बातचीत कर रह थे। इतने बड़े क्रिकेटर से क्या सीखने को मिलता है। ऐसे भी कल धोनी का 300वां वनडे होगा?
मेरे पास शब्द नहीं हैं। मैं पिछले 6 महीने से माही भाई के साथ हूं। मैं उनसे अपनी बॉलिंग के बारे में बात करता रहता हूं। मैच खेलता हूं तब भी उनसे बात करता रहता हूं। उनसे अच्छा आपको कोई जज नहीं कर सकता। वो विकेट के पीछे रहते हैं और आपको बताते रहते हैं कि आपको क्या करना है। मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैं उनके साथ खेल रहा हूं। मैं बहुत लकी फील कर रहा हूं कि उनके 300वें मैच में साथ रहूंगा। माही भाई जैसा लीजेंड टीम में हो तो आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है।