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उत्तराखंड पर मंडरा रहा है एक और सैलाब का खतरा! वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा से लोग अभी उबर भी नहीं पाए हैं. ऐसे में एक और दूसरा खतरा मंडराने लगा है. ऋषिगंगा के ऊपर रैणी गांव में एक अस्थाई झील बन गई है. अब अगर यह झील टूटती है, तो फिर सैलाब आ सकता है. हालांकि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है अभी तक जो झील की स्थिति है, उससे सावधान रहने की जरूरत है , घबराने की जरूरत नहीं है. सरकार को इस मामले की जानकारी है और झील पर सेटेलाइट से नजर रखी जा रही है.

सीएम रावत के मुताबिक, ये झील लगभग 400 मीटर लंबी है, लेकिन गहराई का अनुमान नहीं लगाया जा सका. झील का निर्माण भी ऋषिगंगा से आए मलबे से हुआ है. फिलहाल, इसकी ऊंचाई 12 मीटर नजर आ रही है. हालांकि, झील में कितना पानी है, इसका भी अंदाजा अभी सरकार को नहीं है.
आपको बता दें कि ऋषिगंगा में आए सैलाब के बाद वैज्ञानिकों की दो टीम बुधवार को अध्ययन के लिए पहुंची. गढ़वाल विश्व विद्यालय के भू-वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य डॉ. नरेश राणा को पहले ये अस्थाई झील नजर आई. इसकी सूचना उन्होंने प्रशासन को दी. गढ़वाल विश्व विद्यालय के प्रोफेसर वाईपी सुन्दियाल का कहना है कि पैंग के पास एक रौंसी गाद है, जिसमें भारी भू-स्खलन हुआ है. भू-स्खलन के भारी मलवे ने ऋषिगंगा को रोक दिया है. अगर समय रहते इसे नहीं खोला गया, तो यह खतरनाक साबित हो सकता है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम रावत ने कहा कि वैज्ञानिकों की टीम भी वहां जा रही है.यह भी प्रयास है कि कुछ लोगों को वहां एयर ड्रॉप किया जाए. इसके लिए अनुभवी प्रशिक्षित लोगों को तलाशा जा रहा है.गौरतलब है कि ऋषिगंगा में आए सैलाब के बाद उत्तराखंड में भारी तबाही हुई है. केदारनाथ के बाद यह इस किस्म का दूसरा हादसा है, जिससे लोग सहम गए हैं.

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