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इकलौती पोर्न स्‍टार ने खोले-तालिबान के राज

लंदन: यासमीना अली अफगानिस्तान की एकमात्र पोर्न स्टार हैं. उनका मानना है कि तालिबान को उनके काम की पूरी खबर है और संभव है कि तालिबानी लड़ाके उनकी फिल्में भी देख रहे हों. यासमीना फिलहाल मुल्क में नहीं हैं, लेकिन 1990 के दशक में जब तालिबान ने काबुल पर विजय प्राप्त की थी, तब वो वहीं थीं. उन्होंने करीब से तालिबानी क्रूरता को महसूस किया है.
यासमीना अली बचपन में ही अफगानिस्तान से ब्रिटेन आ गईं थीं. अब उन्हें अफगानिस्तान की एकमात्र पोर्न स्टार के रूप में पहचाना जाता है. एडल्ट इंडस्ट्री में कदम रखने के लिए उन्होंने मुस्लिम धर्म छोड़ा और नास्तिक बन गईं. यासमीना का कहना है कि तालिबान पोर्नहब और ओनलीफैन्स जैसी वेबसाइटों से उनके काम पर नजर रख सकता है.

‘आई हेट पोर्न’ पॉडकास्ट पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, ‘तालिबान को मेरे काम से नफरत है, क्योंकि वो नहीं चाहता कि अफगानिस्तान पोर्न के लिए जाना जाए. वो सोचता है कि मैंने अपना शरीर दिखाने की हिम्मत कैसे की? तालिबानी मानते हैं कि मेरे शरीर पर उनका अधिकार है और यदि मैं अपना शरीर दिखाती हूं तो सच्ची अफगानी नहीं’. पोर्न स्टार का कहना है कि उन्हें रोज कई ऐसे मैसेज मिलते हैं, जिनमें उन्हें यहूदी या अंडरकवर कहा जाता है.

यासमीना ने कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि तालिबान उनके बारे में क्या सोचता है. वो अफगानी गर्ल हैं और यही उनकी पहचान है. पोर्न स्टार ने आगे कहा, ‘किसे पता तालिबानी लड़ाके मेरी एडल्ट फिल्में देखते हों. मुझे यकीन है कि वो मुझे अच्छे से पहचानते होंगे. गूगल पर बस अफगान पोर्न लिखने की देर है और मेरा नाम सामने आ जाएगा.
पोर्न स्टार यासमीना ने तालिबान क्रूरता के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि तालिबान महिलाओं को किसी वस्तु की तरह ट्रीट करता है. उसके लिए हमारी भावनाएं, इच्छाएं कोई मायने नहीं रखती. एक बार मेरी मां ने मुझसे कहा था कि तालिबानी राज में बलात्कार जैसी कोई चीज नहीं होती. तालिबानी जिसके साथ जो चाहे कर सकते हैं. यासमीना ने बताया कि बचपन में उन्होंने देखा था कि लोगों को धार्मिक न होने और उचित रूप से धार्मिक पोशाक न पहनने के लिए पीटा जाता था. महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी तालिबानी क्रूरता का सामना करना पड़ता था.
यासमीना अली ने ब्रिटेन की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा यहां किसी विवाद का मामले में आप पुलिस को कॉल कर सकते हैं और वो आपकी सुरक्षा के तुरंत पहुंच जाएगी, लेकिन अफगानिस्तान में हिंसा करने वाले की सरकार चला रहे हैं ऐसे में लोग मदद मांगें भी तो किससे? यासमीना नौ साल की उम्र में ही यूके आ गई थीं और यहीं उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में आज भी पीरियड आने पर महिला को अपवित्र, गंदी समझा जाता है. उन दोनों में उन्हें कहीं जाने की इजाजत नहीं होगी.

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