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इंसानों की मौत  ( death )की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश जानें क्या है इसका रहस्य…

इंसानों की मौत: बुढ़ापे में कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ज्यादातर लोगों की मौत             ( death )80 की उम्र के आसपास ही क्यों होती है. इस बात का खुलासा एक रिसर्च में किया गया.

कोविड-19 का असर
कोविड-19 महामारी के बाद जाहिर तौर पर लाइफ एक्सपेक्टेंसी में गिरावट आई है. बुढ़ापा एक मुश्किल दौर होता है. वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट की नई रिसर्च के मुताबिक जेनेटिक डैमेज सर्वाइवल का आधार हो सकता ह

एक्सपर्ट्स ने बताया राज
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लंबी उम्र के लिए साइज एक आधार है. छोटे जानवर बड़े जानवरों की तुलना में ज्यादा एनर्जी बर्न करते हैं. इसका मतलब है कि उनका सेल टर्नओवर तेजी से होता है. इस रिसर्च के मुताबिक जेनेटिक डैमेज की स्पीड को ही सर्वाइवल का आधार माना गया है.

साइज कैसे हो सकता है लंबी उम्र का आधार?
विशेषज्ञों के अनुसार जो जानवर ज्यादा जीते हैं, उनमें डीएनए म्यूटेशन की दर को स्लो करने की क्षमता होती है. यही कारण है कि एक चूहा एक जिराफ को पछाड़ सकता है. जीवन काल सोमेटिक म्यूटेशंस से इंवर्सली प्रपोशनल है. जितना लंबा लाइफ स्पैन यानी जीवन काल होगा, उतना ही स्लो रेट से म्यूटेशन होगा.

बुढ़ापा नहीं होता आसान
बुढ़ापेको दूसरा बचपन कहा जाता है. बुढ़ापे में लोग भावनात्मक रूप से अपने करीबियों को अपने पास चाहते हैं. लेकिन इस भागदौड़ भरी दुनिया में सीनियर सिटिजंस के लिए बहुत कम लोग टाइम निकाल पाते हैं. शरीर की बीमारियों के अलावा अकेलापन भी उम्रदराज लोगों को हताश करता है.

 

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