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इंजन ऑयल को लेकर सारी भ्रम को दूर;

नई दिल्ली। आपके वाहन की जो धड़कन होती है वो है उसका इंजन और इंजन का ख्याल रखना हर एक वाहन मालिकों की प्राथमिकता होनी चाहिए, जो बहुत कम ही देखने को मिलता है, वहीं कई लो इंजन ऑयल को लेकर भ्रमित भी रहते हैं। आज इस खबर के माध्यम से इंजन ऑयल को लेकर सारी भ्रम को दूर करने वाले हैं, ताकि आप अपनी गाड़ी को सालों साल बिना किसी समसिया के चलाएं।

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इंजन ऑयल में प्रयोग होते हैं एडिटिव्स : इंजन ऑयल को प्रभावी बनाने के लिए निर्माता कंपनियां इसमें अलग अलग प्रकार के एडिटिव्स का उपयोग कर रही हैं। इंजन के तेल में एंटी-फोमिंग एजेंट, जिंक, फास्फोरस और कुछ सल्फर माल्यूकल एसिड मिलाए जाते हैं। ये सभी इंजन के हिस्सों के बीच घर्षण और ऑक्सीकरण के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।

सिंथेटिक इंजन ऑयल: आधुनिक इंजन ऑयल अब पहले से अधिक रिफाइंड होते हैं, यही कारण है कि सिंथेटिक इंजन ऑयल के फायदे ज्यादा होते हैं। सिंथेटिक इंजन ऑयल अन्य की तुलना में ज्यादा लंबा चलता है, और यह गाढ़ा भी ज्यादा होता है। इसी के चलते यह इंजन में पिस्टन के घर्षण को कम कर देता है, और इसके इस्तेमाल से इंजन की अधिकतम पावर का इस्तेमाल किया जा सकता है।

सेमी-सिंथेटिक इंजन तेल: हम जानते हैं कि सामान्य मिनरल ऑयल सिंथेटिक इंजन ऑयल की तुलना में काफी सस्ता होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए निर्माताओं ने मिनरल और सिंथेटिक इंजन ऑयल के बीच एक संतुलन बनाने के लिए सेमी-सिंथेटिक को पेश किया। सेमी-सिंथेटिक में 30 फीसद तक सिंथेटिक इंजन तेल के एक मिश्रण का उपयोग किया जाता है। जो लागत कम करने के साथ आपकी जेब पर भी असर नहीं डालता है।

आधुनिक इंजन ऑयल अब पहले से अधिक रिफाइंड होते हैं यही कारण है कि सिंथेटिक इंजन ऑयल के फायदे ज्यादा होते हैं। सिंथेटिक इंजन ऑयल अन्य की तुलना में गाढ़ा होता है। इसी के चलते यह इंजन में पिस्टन के घर्षण को कम कर देता है

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