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असमंजस की स्थिति में मुस्लिम समाज

ईद-उल-जुहा का त्यौहार भी इस बार कोरोना से प्रभावित
सहारनपुर। कोरोनाकाल में पडऩे वाले इस बार सभी त्यौहार इससे प्रभावित रहे जिन्हें लोगों ने सार्वजनिक रूप से मनाने की बजाय अपने घरों पर ही सादगी के साथ मनाया। लॉकडाऊन अनलॉक होने के बाद सभी धार्मिक स्थलों को भी खोला गया। इन्हें सेनेटाईज किये जाने के साथ ही चेहरे पर मास्क की अनिवार्यता और सामाजिक दूरी बनाये रखे जाने के भी सरकार द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। लॉकडाऊन खुलने के बाद से लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या बढऩे के कारण प्रति सप्ताह शनिवार व रविवार को दो दिनों का लॉकडाऊन घोषित किया गया ताकि बेकाबू होते कोरोना पर लगाम कसी जा सके। सप्ताह में लॉकडाऊन के लिये शनिवार और रविवार का ही दिन क्यों चुना गया, इस पर भी काफी चर्चा रही लेकिन माना गया कि सरकारी कार्यालयों में सप्ताह के पांच दिन कार्य सुचारू रूप से हो सके और इसी वजह से इन दो दिनों का चयन किया गया। इसे इत्तेफाक ही कहा जायेगा कि इस बार ईद-उल-जुहा शनिवार के दिन है जबकि इस पर भी मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलीं। मुस्लिम समाज की ओर से ईद की नमाज सार्वजनिक रूप से अदा किये जाने की मांग भी उठायी गयी लेकिन सरकार ने कोरोनाकाल को देखते हुए इस पर अपनी सहमति नहीं जतायी।

मुस्लिम समाज के कुछ बुद्धिजीवियों ने भी सरकार के इस निर्णय पर अपनी मुहर लगाते हुए अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा किये जाने तथा सार्वजनिक स्थलों पर जानवरों की कुर्बानी न किये जाने का संदेश अपने समाज में प्रसारित किया। इतना तो स्पष्ट हो चुका था कि बकरीद की नमाज घरों पर ही अदा की जायेगी और जानवरों की कुर्बानी भी सार्वजनिक स्थलों पर नहीं होगी लेकिन कुर्बानी दिये जाने वाले जानवरों की खरीद-फरोख्त के लिये कौन सा स्थान होगा और बलि उपरान्त जानवरों के अवशेषों को कहां पर डालने की सुविधा रहेगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हो पायी है। बहरहाल अन्य त्यौहारों की तरह ईद-उल-जुहा को लेकर अब मुस्लिम समाज काफी उत्साहित है लेकिन कोविड-19 के चलते इसे सार्वजनिक रूप से न मनाये जाने की टीस भी साफ देखने को मिल रही है। अमरनाथ यात्रा, हज यात्रा, तथा कावड़ यात्रा पर इस बार अनुमति न मिलने पर हिन्दू समाज भी काफी मायूस है। इससे पूर्व शिवरात्रि, गुरू पूर्णिमा, दुर्गा अष्टमी, हनुमान जयन्ती, रामनवमी, गुडफ्राईडे, ईद-उल-फितर आदि त्यौहार भी सार्वजनिक रूप से मनाये जाने की बजाय घरों पर ही मनाये गये लेकिन कोरोना वायरस से बचाव को ये सावधानियां अब बेहद जरूरी हो चुकी हैं। कोरोना खत्म होने के बाद हम सभी आपस में मिल जुलकर सार्वजनिक रूप से पहले की तरह ही त्यौहार मनायेंगे लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए फिलहाल तो संयम से काम लेना होगा।

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