main slideअंतराष्ट्रीयप्रमुख ख़बरेंबडी खबरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यराष्ट्रीय

अरुणाचल प्रदेश: सेना के कई जवान हिमस्खलन की चपेट में, जाने क्या है हलात

नई दिल्ली, एजेंसियां। अरुणाचल प्रदेश: सेना के कई जवान हिमस्खलन की चपेट में, जाने क्या है हलात, अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर के ऊंचाई वाले इलाके में हुए एक हिमस्खलन की चपेट में आ गए हैं। सभी सात जवान एक गश्ती दल का हिस्सा थे। भारतीय सेना ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि इन जवानों की खोजबीन और बचाव का काम जारी है। बचाव अभियान में विशेष टीमों को एयरलिफ्ट किया गया है। इलाके में पिछले कुछ दिनों से भारी बर्फबारी देखी जा रही हैं। भारतीय सेना ने कहा कि सभी जवान छह फरवरी से वहां फंसे हुए हैं। अरुणाचल प्रदेश आमतौर पर पश्चिम में कामेंग क्षेत्र और बाकी हिस्सों में विभाजित है।

तलाशी अभियान जारी, विमान से भेजे विशेषज्ञ

मालूम हो कि भारतीय सेना की पूर्वी कमान के पास सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश समेत 1,346 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सुरक्षा की जिम्घ्मेदारी है। इस कमान में तीन कोर शामिल हैं। 33वीं कोर सिक्किम, चौथी कोर कामेंग सेक्टर और तीसरी कोर शेष अरुणाचल प्रदेश में सुरक्षा की जिम्घ्मेदारी को संभालती है। समाचार एजेंसी रायटर ने अपनी रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि यह इलाका चीन से लगी सीमा के पास। इन जवानों को अभी तक बचाया नहीं जा सका है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने बताया कि घटना के वक्त टीम हिमालय के ऊंचे कामेंग क्षेत्र में गस्त पर थी।

अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हिमस्खलन

रिपोर्ट के मुताबिक सीमा पर चीन से जारी गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने भी अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों में गश्त तेज करने के साथ ही सड़कों और सुरंगों का निर्माण भी तेज कर दिया है। अरुणाचल की सीमा तिब्बत से लगती है। इस इलाके में सरकार के आदेश के बाद सीमा सड़क संगठन सड़कों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मालूम हो कि अरुणाचल प्रदेश में रविवार को देर रात भूकंप के तगड़े झटके भी महसूस किए गए।

पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी ने बताया तलाक का कारण, जाने तीन फीसदी तलाक का कारण

नेशनल सेंटर फार सीस्मोलाजी ने बताया कि रविवार को रात करीब 10.59 बजे अरुणाचल प्रदेश के पांगिन क्षेत्र में भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 दर्ज की गई। उल्घ्लेखनीय है कि पड़ोसी मुल्कों से सामरिक चुनौतियों को देखते हुए सीमा सड़क संगठन सड़कों के निर्माण में पूरी शिद्दत के साथ जुटा है। सीमा सड़क संगठन की ही देन है कि लद्दाख और जम्मू कश्मीर में सरहदों पर बन रहे मजबूत पुल आकस्मिक परिस्थितियों में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सीमा सड़क संगठन की ओर से हमारी सेनाओं को जल्द से जल्द सरहद तक पहुंचने के लिए पुलों एवं सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button