अंतराष्ट्रीय

जरदारी (Zardari)ने गलती से भारत को “दोस्त” बताया

नई दिल्ली. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Zardari) ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उनके देश को भारत के कूटनीतिक प्रयासों के कारण कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के “केंद्र” में लाना मुश्किल हो गया है. महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के आयोग से इतर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए जरदारी ने कहा, “जब भी कश्मीर का मुद्दा उठाया जाता है … हमारा पड़ोसी देश मुखर रूप से कड़ी आपत्ति जताता है और वे पोस्ट फैक्टो नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं.”

जरदारी ने कहा, “वे यह दावा करने की कोशिश करते हैं कि यह संयुक्त राष्ट्र के लिए कोई विवाद नहीं है, कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त एक विवादित क्षेत्र नहीं है, और वे जोर देते हैं, तथ्यों का विरोध करते हैं, वास्तविकता का विरोध करते हैं, कि उनके कश्मीर हथियाने का समर्थन करना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा, “हमें सच्चाई को सामने लाने में मुश्किल होती है, लेकिन हम लगातार अपने प्रयास करते रहते हैं.”

जरदारी ने गलती से भारत को “दोस्त” बताया और बाद में अपनी गलती सुधारते हुए भारत को “पड़ोसी” के रूप में संबोधित किया.

1972 में, शिमला समझौते के तहत, यह फैसला लिया गया कि कश्मीर और पड़ोसियों के बीच सभी विवाद द्विपक्षीय मामले हैं और इस पर पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के दादा और तत्कालीन राष्ट्रपति, जुल्फिकार अली भुट्टो और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हस्ताक्षर किए थे.

इसके बावजूद पाकिस्तान ने कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकों के दौरान और उन बैठकों के दौरान भी जहां यह मुद्दा प्रासंगिक नहीं था, कश्मीर मुद्दे को उठाया है.

भारत ने लिया आड़े हाथों
उदाहरण के लिए, भारत ने महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद की बहस के दौरान कश्मीर को उठाने के लिए विदेश मंत्री की आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि विदेश मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप प्रतिक्रिया के “योग्य” नहीं थे.

कंबोज ने 8 मार्च को कहा, “इससे पहले कि मैं निष्कर्ष निकालूं, मुझे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा की गई ओछी, निराधार और राजनीति से प्रेरित टिप्पणी को खारिज कर देना चाहिए.”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘महिला, शांति और सुरक्षा’ विषय पर चर्चा के दौरान कम्बोज ने कहा, ‘‘मेरा प्रतिनिधिमंडल मानता है कि ऐसे दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार का जवाब देना भी मुनासिब नहीं है. इसके विपरीत हमारा ध्यान सकारात्मक और आगे की सोच वाला होना चाहिए. आज की चर्चा महिला, शांति और सुरक्षा के एजेंडे को पूरी तरह से लागू करने के लिए हमारी सामूहिक कोशिश को मजबूत करने के वास्ते अहम है. हम चर्चा के विषय का सम्मान करते हैं और समय के महत्व को मान्यता देते हैं. हमारा ध्यान इस विषय पर केंद्रित होना चाहिए.’’

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