आपके पास बचे हैं सिर्फ 24 घंटे (24-घंट)जानें फिर क्या हुआ…
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चोर्ले : लंकाशायर के चोर्ले की 33 वर्षीय विक्टोरिया डैनसन पेट की दर्द से काफी परेशान थी. शुरुआत में उसे लगा कि ज्यादा देर तक काम करने की तनाव से उसके पेट में दर्द हो रहा है, वह काफी से इसकी अनदेखी करते रही. लेकिन जब दर्द असहनीय हुआ तो उसने डॉक्टर से दिखाने की सोची. डॉक्टर के जांच में उसे क्रोहन रोग जो कि एक सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) है, का पता चला. डॉक्टरों ने बताया कि महिला के पास जीने के लिए सिर्फ 24 घंटे (24-घंट) बचे हैं.
ख़राब जीवनशैली को ठहराया जिम्मेदार
विक्टोरिया, अपनी दो नौकरियों को संभालने के लिए हफ्ते की 60 घंटे काम किया करती थी. उसे शुरुआत में लगा कि कठिन जीवन शैली की वजह से उसे ये समस्या है. उसने NeedToKnow.co.uk से बात करते हुए बताया कि, ‘मेरे पास वास्तव में यह समझने का भी समय नहीं था कि क्या हो रहा था. मुझे बस इतना पता था कि मैं पीड़ा में थी और दर्द से छुटकारा पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी.’ डॉक्टर ने इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) का इलाज किया. लेकिन महिला को कोई रहत नहीं मिला लेकिन फिर 1 साल के बाद उसकी कोलोनोस्कोपी की जिसमें दर्द का असली वजह सामने आया. वह था, क्रोहन रोग.
क्या है ये क्रोहन बीमारी
क्रोहन रोग एक पुरानी सूजन वाली आंत्र स्थिति है जो जठरांत्र संबंधी मार्ग को प्रभावित करती है, जिससे गंभीर दस्त, पेट दर्द, थकान और वजन कम होना जैसे लक्षण होते हैं. ये बीमारी आमतौर पर पाचन क्रिया को प्रभावित करती है. क्रोहन रोग का सटीक कारण अभी तक डॉक्टरों को मालूम नहीं है. हालांकि इसे सूक्ष्मजीव जनित माना जाता है. इसे जेनेटिकल बीमारी भी कहा जा सकता है.
विक्टोरिया के पास जीने के 24 घंटे बचे थे
विक्टोरिया की ख़ुशी इसी बात की थी उसके दर्द के मूल कारण का पता चल गया है और उसे सर्जरी करके के हटाया जाया जा रहा था. वहीं, विक्टोरिया भी दर्द से राहत पाने के लिए काफी आतुर दिख रही थी. लेकिन उसका बढ़ा कम होने के नाम नहीं ले रहा था. सर्जरी के समय उसके पेट में एक फोड़ा विकसित हो गया, जिसके वजह से उसे जानलेवा सेप्सिस हो गया. डॉक्टरों के अनुसार उसके पास सिर्फ 24 घंटे बचे थे, लेकिन अंडाशय में मौजूद फोड़ा हटाने के लिए तत्काल सर्जरी किया गया.
सर्जरी के बाद बदली जीवनशैली
डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान उसकी आंत का 18 इंच हिस्सा हटा दिया और बदले में उस जगह पर मानवनिर्मित एक इलियोस्टॉमी बैग लगाया गया. हालांकि, विक्टोरिया जीवित तो बच गई लेकिन उसका जीवन शैली बिल्कुल ही बदल गया. उसके खानपान में भी काफी बदलाव करना होगा जैसे कि उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों, कैफीन से परहेज करना पड़ा और हरी चाय और पूरक आहार को अपने आहार में शामिल करना पड़ा.