शी जिनपिंग (Xi Jinping) को भी सता रहा तख्तापलट का डर!
बीजिंग. कोरोना वायरस महामारी के बाद से चीन में शी जिनपिंग(Xi Jinping) के खिलाफ गुस्सा है. हालात तो यहां तक हो गए थे कि बीजिंग सहित चीन के बड़े शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए थे. इन लोगों ने जिनपिंग सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया. इस तरह के हालात चीन में आम तौर पर दिखाई नहीं देते हैं, क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट सरकार सभी तरह के विरोध का दमन कर देती है. ऐसे में डर के चलते लोग भले ही चुप हों, लेकिन अगर एक बार विद्रोह हुआ तो शी जिनपिंग के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं और जैसा कि इतिहास में देखा गया है कि हर तानाशाह को उनके अपने सिपहसलार से ही सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है. लिहाजा चीन में सैन्य अफसरों के लिए नया कोड ऑफ़ कंडक्ट लागू किया गया है. इनमें सेवारत अधिकारियों के साथ ही रिटायर्ड सैन्य अफ़सरों को भी शामिल किया गया है. इस कोड ऑफ कंडक्ट के लागू होने के बाद सेना के बड़े सर्विंग और रिटायर अफ़सरों के सोशल लाइफ पर अब शी जिनपिंग का कंट्रोल होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, शी जिनपिंग का यह कदम पार्टी और सेना पर व्यापक और सख़्ती से शासन करने की ज़रूरतों को लागू करने के लिए है. पार्टी की विचारधारा और उसके प्रति समर्पण को बढ़ाने के लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं यानी कि ये आचार संहिता सार्वजनिक सामाजिक संपर्क को मद्देनज़र रखते हुए जारी किया गया है जिसमें शोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर उनका बर्ताव भी शामिल है.
अपने सैन्य अफसरों पर पूरा कंट्रोल रखना चाहते हैं जिनपिंग
चीन इस इंटरनेट के युग में अपने सैन्य अफ़सरों पर पूरा कंट्रोल रखना चाहता है. इस कोड ऑफ़ कंडक्ट को चीन के सैन्य कर्मियों के अनुशासन में सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गोपनीयता की भावना को मज़बूत करना है. इस कोड ऑफ़ कंडक्ट के तहत 52 अलग-अलग तरीके के बर्ताव को प्रतिबंधित किया गया. हालांकि जानकार मानते हैं कि शी जिनपिंग को इस बात का डर सता रहा है कि उनकी मुखालफ़त में दिखने वाला सेना का धड़ा कहीं इंटरनेट या सोशल मीडिया के जरिये उन ताक़तों को इकट्ठा ना कर दे, जो कि शी की नीतियों के खिलाफ हैं और कहीं उनके तख्ता पलट की आशंकाओं ना बढ़ा दे… इस नए कोड ऑफ़ कंडक्ट को सख़्ती से लागू करने के लिए निर्देश भी जारी किए गए हैं.
पहले भी उड़ चुकी है जिनपिंग के तख्तापलट की अफवाह
शी जिनपिंग ने वर्ष 2013 में जब सत्ता संभाली तभी से भ्रष्टाचार निरोधी मुहिम के नाम पर तकरीबन 40 जनरलों को या तो बर्खास्त कर दिया या उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. उनकी जगह नए युवा अफ़सरों को सेंट्रल मिलेट्री कमीशन में जगह दी गई. ये सभी युवा अफ़सर शी के भरोसेमंद बताए जाते हैं. यानी कि अपने तख्तापलट की संभावनाओं को शी जिनपिंग पहले दिन से ख़ारिज कर चुके थे. इसके अलवा समय-समय पर सेना में कई बदलाव भी किए गए.
इसके बावजूद साल 2022 में शी जिनपिंग के तख्तापलट की खबरों से सोशल मीडिया भर गया था. कहा जा रहा था कि शी को नज़रबंद किया जा चुका है और तख्तापलट की कार्रवाइ शुरू हो चुकी है. दावा किया गया कि जनरल ली क्वोमिंग शी को हटाकर चीन के नए राष्ट्रपति बन सकते हैं. उस वक्त ली नॉर्दर्न थियेटर कमांडर थे, जिन्हें बाद में ग्रांउड फ्रोर्स कमांडर बनाया गया.
उस वक्त जिस तरह की अफ़वाह फैली थी, उसने शी को असहज बना दिया था. खास बात तो यह है कि चीन में सोशल मीडिया पर जितनी सख्ती है, वो शायद ही किसी और विकसित देश में हो. इस बावजूद शी जिनपिंग को इस बात डर सता रहा है कि कोविड गाइडलाइन के सख़्ती से पालन को लेकर चीनी आवाम की नाराज़गी को कहीं कोई बड़ा सैन्य अफसर गलत तरीके से कोई उनके खिलाफ ही न इस्तेमाल कर लें. यही वजह है कि अब शी जिनपिंग ने सैन्य अधिकारियों के सोशल लाइफ़ पर कंट्रोल करना शुरू कर दिया है, ताकी अगर कोई भी साज़िश हुई तो उसे समय रहते विफल किया जा सके.