उत्तराखंड

वाह भाई क्या हो गया आज कल

अपने भी पराए हुए भाई भाई के हो रहे कत्ल
( गुलफाम अली )
आज ऐक बात छुरी की तरह चुभने लगी दुनिया में हर जगह स्वार्थी क्यू बन बैठे इंसान

अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को आग में धकेल देना उसकी मजबूरी का नाजायज फायदा उठाना वाह री दुनिया

आज दुनिया में सबसे जरूरी पैसा है हां भाई हो भी क्यू ना पैसे से तो मज़े ही मज़े हैं गर्मी है तो A C में बैठो वाह और सर्दी है तो हिटर में , बीमार हुए तो बड़े बड़े अच्छे अच्छे हॉस्पिटल। भूख लगे तो VIP होटल बच्चे बड़े से बड़े स्कूल कॉलज में वाकई हर कोई ऐसे जीना चाहता है इस लिए पैसे सबसे जरूरी है

लेकिन दौलत हर किसी के पास नहीं
आंखों से आशु भी कम पड़ जाएंगे जब कभी अपने दिल से ऐक बार इन गरीबों के बारे में जाने कहीं भूख है तो रोटी नहीं कहीं बीमारी है तो इलाज के लिए पैसे नहीं बारिश है तो छत नहीं गर्मी है तो पंखे भी नहीं सर्दी है तो गर्म ( जर्सी स्वेटर ) कपड़े नहीं गम ही गम है लेकिन आंखो में आंसू देखने वाले नहीं

कितने स्वार्थी हो गए हम हमें गरीबों कि भूख नहीं दिखती गरीबों के आंसू दिखाई नहीं दे रहे हैं। क्या बस इस लिए हमें ( अल्लाह भगवान ईश्वर ) ने दुनिया में उतारा है अब तो मानना ही होगा कलयुग अा गया है,
हद तो तब होने लगी जब पहले पूरा गांव ऐक परिवार की तरह रहता था आज के हालात झकझोर कर रख देने वाले हैं परिवार में अगर साथ भाई है तो वह सातों ने अपने परिवार अलग बना लिए हैं भाई भाई आपस में चंद जमीन के लिए काटने मारने के लिए हाथों में डंडे फावले चाकू उठा लेते हैं । वाह री दुनिया गजब है कहा पहुंच गए हम

ऐक भाई बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूम रहा है और दूसरे भाई को चप्पल भी नसीब नहीं है ऐक भाई महलों में रहता है और दूसरे भाई को छप्पर भी नसीब नहीं ऐक भाई बड़े बड़े होटल नाश्ता करने जाता है और दूसरा भाई के पास रोटी है तो सब्जी नहीं सब्जी है तो रोटी नहीं कमाल है ना दौलत ने कितना बदल दिया भाई भाई का प्यार
क्या सब यही होना है यही जिंदगी जीने के लिए आए हैं दुनिया में , याद रखो उपर वाला सब देखता है और वो कहता है अगर पड़ोसी भूखा है तो और आप पेट भर के खा रहे हैं तो वो खाना भी हराम है क्या दुनिया के लिए ही कमाना है आखिर में क्या मुंह दिखाएंगे अपने ( अल्लाह ईश्वर भगवान) को वक्त रहते हुए होश में आइए और अपने भाइयों को गले लगाए ओर उनके सुख दुख के साथी बने और अपने सही रास्ते चुने !

वरना आने वाले समय में उपर वाला ऐसे ऐसे अजाब भेजेगा कैसा अजाब जैसे कि आज देख रहे हैं अभी तो ऐक छोटी सी झलक है जिसे हम आप कोरोना महामारी कह रहे हैं लेकिन यह ऊपर वाले का गुस्सा है उसकी लाठी में आवाज नहीं होती वह जब कर्मो की सजा देगा तो हमारी रूह भी थर थराने लगेगी ! जानवर मत बनो जानवर चाह कर भी दूसरों की मदद नहीं कर सकते खुद ही खा सकतें हैं आप तो इंसान है इंसान को तमाम तरह की खासियतों से नवाजा गया है लेकिन इंसान तो जानवर से भी बदतर होने लगा वह भी चंद पैसों के लालच में अपनों का खून बहाने लगा अपने लिए जीने लगा तभी तो ईश्वर नाराज हो गया उसने कहर बरसाना शुरू कर दिया तो अब चिल्लाने के अलावा क्या कर सकता है इंसान!

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