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हिजाब कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर रही महिलाएं

तेहरान। आम (hitting the streets) ईरानी नागरिक का पाबंदियों और उनकी आजादी छीनने के खिलाफ आंदोलन है। एटमी प्रोग्राम के चलते ईरान पर पहले ही अमेरिकी प्रतिबंध लगे हुए हैं, इकोनॉमी तबाह हो चुकी है। 22 साल की महसा अमिनी कुर्दिस्तान की रहने वाली थीं।

वो 13 सितंबर को काम की तलाश में तेहरान आईं थीं। 3 दिन बाद परिवार को उनका शव मिला। 15 से ज्यादा शहरों में सरकार विरोधी हिंसक (hitting the streets) प्रदर्शन हो रहे हैं। 33 लोग मारे जा चुके हैं। सरकार सिर्फ 17 के मारे जाने का दावा कर रही है।

ईरान में इस तरह के प्रदर्शन और हिंसा लंबे वक्त तक चलते हैं। ऐसे में हिंसक आंदोलन सरकार के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। करप्शन और इकोनॉमिक मिस मैनेजमेंट ने आग में घी का काम किया है।

/vicharsuchak.in/sharif-wants-peace-between-pakistan-and-india/

महसा अमिनी को लोग जिना के नाम से भी जानते हैं; पिछले हफ्ते वो कुर्दिस्तान के अपने घर से काम की तलाश में तेहरान आई थीं। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने हिजाब नहीं पहना था, इसकी सजा उन्हें मौत के तौर पर मिली।

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