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शोषण के विरुद्ध महिलाएं उठाएं आवाज

बांदा। कामगार महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए उन्हें खुद आगे आकर आवाज उठानी होगी। तभी इसके लिए बनाए कानूनों को अमल में लाया जा सकता है। यह बात जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान और चिराग फाउंडेशन की मेजबानी में आयोजित महिला सशक्तिकरण विधिक जागरूकता शिविर में प्राधिकरण की रिसोर्स पर्सन कविता अमन ने कही। शहर के रफीक नर्सिंग होम सभागार में आयोजित शिविर में प्राधिकरण काउंसलर डॉ. सबीहा रहमानी ने कहा कि माता-पिता को बालिकाओं की उचित देखरेख और बातचीत का दायरा बढ़ाना चाहिए। घर या बाहर हिंसा पर महिला आयोग आदि में शिकायत करनी चाहिए। शिविर की मेजबान और अध्यक्षता कर रहीं डॉ. शबाना रफीक ने कहा कि बालिकाओं को अपने अधिकार समझना चाहिए तभी वह उनका उपयोग कर सकेंगी। जरूरत पडऩे पर प्राधिकरण के वालिंटियर से संपर्क करने की सलाह दी। बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना 1987 में हुई। उन्होंने महिलाओं को नकारात्मक स्थिति से बचने की सलाह दी। महिलाओं को संपत्ति में मिलने वाले हक के बारे में बताया। गोष्ठी का आयोजन प्राधिकरण अध्यक्षध्जिला जज राधेश्याम यादव के निर्देश में किया गया। सचिव गरिमा सिंह सहित चिराग फाउंडेशन संयोजक डॉ. मोनिका सक्सेना, सदस्य सीमा नंदा, कुसमा देवी, मंजूषा, ब्रिजिश मंजर, फहमीदा निषाद, मुसाब अहमद, सैययद खुर्शीद अहमद, मनीष कश्यप आदि उपस्थित रहे। अंत में सभी ने भारतीय संविधान प्रस्तावना की शपथ ली।

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