लाइफस्टाइल

महिलाओं को जरूर करना चाहिए गिलोय सेवन(महिलाओं)

ओवेरियन सिंड्रोम :आजकल महिलाओं  (महिलाओं) में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम सबसे ज्यादा होने वाली समस्या बन गई है। अनहेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल की वजह से पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या ज्यादा होने लगी है। इसके अलावा महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी इसका कारण बनते हैं। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) की समस्या महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान देखी जाती है। 16 से 35 साल की महिलाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। कई बार तो इस बीमारी के बारे में महिलाओं को पता भी नहीं चल पाता है। शरीर में हार्मोनल असंतुलन की वजह से ओवरी में गांठे बन जाती है, जिन्हें हम सिस्ट कहते हैं। इस स्थिति में प्रेगनेंसी पर सीधा असर पड़ता है। हालांकि लाइफस्टाइल में बदलाव करते और कुछ दवाओं से भी इसे कंट्रोल किया जा सकता है। पीसीओएस में गिलोय और कई आयुर्वेदिक चीजें भी फायेदमंद साबित होती हैं। जानिए महिलाओं को PCOS में कौन सी चीजें फायदा करती हैं?

PCOS में फायदेमंद है ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
गिलोय- इन दिनों गिलोय का पौधा खूब फल-फूलता है। गिलोय को आयुर्वेद में बहुत असरदार जड़ी-बूटी माना जाता है। गिलोय का सेवन करने से PCOS को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। जब शरीर में ज्यादा एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है तो मेल हार्मोन शरीर में बढ़ने लगते हैं। ऐसे में गिलोय इन हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद करता है। आप गिलोय का पाउडर शहद और पानी के साथ सेवन कर सकते हैं।

दालचीनी- कई रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि दालचीनी शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ने से रोकती है। इससे वजन कम होता है। ऐसे में ये पीसीओएस के मरीज को मदद करती है। आप 1 चम्मच दालचीनी पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

पुदीना- मिंट यानि पुदीना को भी PCOS में फायदेमंद माना जाता है। पुदीने की चाय पीने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होता है और शरीर में उगने वाले अतिरिक्त बालों कम होते हैं। इसके लिए आप गर्म पानी में 7–8 पुदीने की पत्तियों को डालकर उबाल लें और चाय की तरह पी लें।

मुलेठी- आयुर्वेद में मुलेठी को बहुत गुणकारी माना गया है। मुलेठी का सेवन करने से ओव्युलेशन की प्रक्रिया तेज होती है। इसके लिए 1 चम्मच मुलेठी के चूर्ण को पानी में उबालकर काढ़ा जैसा बना लें। इसे आपको चाय की तरह पीना है। इसके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आती है।

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