बढ़ती विषमताओं की बड़ी कीमत चुका रहीं महिलाएं और बच्चे

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर बैठक के दौरान जारी की गई “protect the promise ” शीर्षक वाली रिपोर्ट दर्शाती है कि विकास लक्ष्यों के अहम संकेतकों और बाल कल्याण की लगभग हर कसौटी पर स्पष्ट रूप से गंभीर गिरावट देखी गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दो वर्षों में खाद्य असुरक्षा, भूख, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, किशोरावस्था में मानसिक अवसाद और बेचैनी, आदि सभी मामलों में वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी और अन्य संबंधी संगठनों ने प्रकाशित किया है। यूएन महासचिव द्वारा महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य के लिए पेश की गई रणनीति के तहत, प्रगति का आंकलन करने के लिए यह द्वि-वार्षिक अध्ययन जारी किया गया है।
बांग्लादेश में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित, सामुदायिक कार्यकर्ता, लोगों को, कोरोनावायरस महामारी का मुक़ाबला करने के ऐहतियाती उपायों के रूप में, हाथ स्वच्छता के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाते हुए बांग्लादेश में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित, सामुदायिक कार्यकर्ता, लोगों को, कोरोनावायरस महामारी का मुक़ाबला करने के ऐहतियाती उपायों के रूप में, अनुमान है कि वर्ष 2021 में करीब ढाई करोड़ बच्चों का या तो आंशिक टीकाकरण हुआ या फिर वे टीकाकरण से पूरी तरह वंचित रहे, जिससे अनेक जानलेवा बीमारियों से पीड़ित होने का जोखिम बढ़ा है। वर्ष 2019 की तुलना में यह आंकड़ा 60 लाख अधिक है। वैश्विक महामारी के दौरान लाखों बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित रहे और अनेक बच्चों के लिए तो यह अवधि एक साल से भी अधिक थी। 104 देशों और क्षेत्रों में 80 प्रतिशत बच्चों ने स्कूलों के बंद हो जाने के कारण पढ़ाई में नुकसान को झेला है। कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक एक करोड़ पांच लाख बच्चे अपने एक अभिभावक या उनकी देखभाल करने वाले व्यक्ति को खो चुके हैं।
चिंताजनक गिरावट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस ने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से महिलाओं, बच्चों और किशोरियों के स्वास्थ्य पर असर स्पष्ट नजर आ रहा है। इन हालातों में उनके स्वस्थ जीवन जीने और प्रोडक्टिव रहने के ग्राफ में भी तेजी से गिरावट आई है। विश्व कोरोना महामारी से उबर रहा है। ऐसे में महिलाओं, बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा ग्लोबल रिकवरी को समर्थन देगी और उसे बेहतर बनाए रखने में आवश्यक साबित होगी।
यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर नतालिया कानेम ने कहा कि अनेक देशों में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारों के लिए राजनैतिक विरोध का सामना करना पड़ा है। इन परिस्थितियों में महिलाओं, बच्चों और किशोरों के पास संरक्षण के वे उपाय नहीं हैं, जो उन्हें एक दशक पहले उपलब्ध थे। साथ ही कई लोगों ने तो उसकी कल्पना भी नहीं की है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
रिपोर्ट में उन विस्तृत तथ्यों को भी प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शाते हैं कि महिलाओं और किशोरों के लिए एक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना उनके जन्म स्थान, परिवारों की आर्थिक स्थिति और क्षेत्र में हिंसक घटनाओं आदि कारकों पर निर्भर करती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक नजर
- निम्न-आय वाले देश में जन्मे एक बच्चे की औसत जीवन 63 साल है, जबकि उच्च-आय वाले देशों के लिए यह 80 वर्ष है। 2020 में अपना पांचवां जन्मदिन मनाने से पहले ही 50 लाख बच्चों की मौत उन कारणों से हुई, जिनकी रोकथाम व उपचार संभव था। अधिकांश मां, बच्चे व किशोरों की मौतें और मृत बच्चों के जन्म के सर्वाधिक मामले केवल दो क्षेत्रों- उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में देखने को मिलते हैं।
- वर्ष 2020 में साढ़े चार करोड़ बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार थे, जोकि एक ऐसी खतरनाक अवस्था है, जिसमें उनकी मौत होने, शारीरिक विकास प्रभावित होने और गंभीर रूप से बीमार होने का जोखिम है। इनमें से करीब तीन-चौथाई बच्चे निम्नतर-मध्य-आय वाले देशों में रहते हैं।
- वर्ष 2020 में 14 करोड़ 90 लाख बच्चे नाटेपन का शिकार थे। अफ्रीका एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां नाटेपन से प्रभावित बच्चों की संख्या पिछले 20 वर्षों में बढ़ी है।
- घरेलू विस्थापितों की संख्या के मामले में अग्रणी छह देशों झ्र अफगानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, सूडान, सीरिया और यमनझ्र में सबसे अधिक खाद्य असुरक्षा देखी गई है।
- यूरोप या उत्तर अमेरिका में महिलाओं की तुलना में उप-सहारा अफ्रीका में एक महिला के गर्भावस्था या प्रसव संबंधी कारणों से मौत होने की संभावना 130 गुना अधिक है।
- रिपोर्ट में देशों की सरकारों से स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश करने, खाद्य असुरक्षा समेत सभी संकटों से निपटने और महिलाओं व युवाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।