सेना लगाएगी मार्शल लॉ या बनेगी कठपुतली सरकार?(सेना )
पाकिस्तान: पाकिस्तान (सेना ) में चुनाव हुए 9 दिन बीत चुके हैं. लेकिन अभी तक वहां पर गठबंधन को लेकर जोड़-तोड़ ही चल रहा है. पहले तो चुनाव आयोग ने नतीजे घोषित करने में 3 दिन ले लिए और जब आए तो जमकर धांधली के आरोप लगे. अब इन्हीं नतीजों और धांधली के खिलाफ PTI समेत तमाम राजनीतिक दल सड़कों पर उतर चुके हैं और चुनाव आयोग के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. चुनाव में धांधली होने का मामला तब तूल पकड़ा जब रावलपिंडी के कमिश्नर ने खुद आकर इस बात की पुष्टि की.
अब तक आपने चुनाव में गड़बड़ होने की सिर्फ तस्वीरें देखी होंगी. खुद रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली चट्ठा ने बताया है कि वोट की गिनती में धांधली हुई है. उन्होंने कहा “बहुत से निर्दलीय उम्मीदवार 70 हजार 80 हजार वोटों से जीत रहे थे, लेकिन हमने उनके बैलेट पेपर पर जाली मुहरें लगाकर सबको हरवाया है, इस गलती की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रहा हूं और साथ ही आपको बता रहा हूं कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर और चीफ जस्टिस भी इस काम में शामिल हैं..”.
पाकिस्तान में गृह युद्ध के हैं हालात?
इस बयान के बाद रावलपिंडी पुलिस ने कमिश्नर रावलपिंडी को गिरफ्तार कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि कमिश्नर को गिरफ्तार कर पुलिस किसी अज्ञात जगह पर लेकर गई है. अब इससे ज्यादा तानाशाही और क्या होगी? इसी को लेकर पाकिस्तान के अवाम में गुस्सा भरा हुआ है. बहुत से लोग सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका मानना है कि पाकिस्तान में इस वक्त जो कुछ भी हो रहा है वो सिर्फ आर्मी चीफ असीम मुनीर के इशारे पर ही हो रहा है. ऐसे में आगे के हालात तानाशाही वाले ही नजर आ रहे हैं. चुनाव में जैसी धांधली हुई उसने पाकिस्तान को गृह युद्ध की तरफ जरूर धकेल दिया है.
क्या पाकिस्तान में इमरजेंसी के हैं हालात?
ये सब देखकर कहा जा सकता है कि पाकिस्तान का भविष्य और अधिक खतरे में हैं. इन सब के बीच विपक्षी नेता पीर सिबगतुल्लाह शाह रशीदी ने चिंता जताते हुए कहा कि हो सकता है कि इमरजेंसी घोषित हो जाए या मार्शल लॉ लग जाए. पाकिस्तान में मार्शल लॉ का दावा इसलिए भी सही लग रहा है क्योंकि यहां फिर से 1971 वाला माहौल बन रहा है. इमरान खान के समर्थकों ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और धांधली का आरोप लगाए हैं. इसके साथ ही ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस में शामिल सभी पार्टियां सड़क पर उतर चुकी हैं और प्रदर्शन के जरिए, नतीजे के खिलाफ विरोध जता रही हैं.
‘ढाई-तीन महीने पहले ही बिक चुका था रिजल्ट’
विपक्षी नेता और GDA के प्रमुख पीर सिबगतुल्लाह शाह रशीदी ने एक और बयान में कहा, ‘ढाई-तीन महीने पहले ही चुनाव का रिजल्ट बिक चुका था और पेमेंट भी हो गई थी और वो इस इलेक्शन ने साबित कर दिया’. इसके बाद उन्होंने कहा, ‘हमारा हक है कि हम विरोध जताएं, प्रदर्शन करें, लेकिन हमारा विरोध प्रदर्शन, चुनाव में जो डाका डाला गया है उसके खिलाफ है, बाकी जहां तक इलेक्शन का सवाल है जो जीता है वो खुद परेशान है, सिर पकड़ कर बैठा है और जो हारा है या हरवाया गया है वो सब हम रास्ते पर निकले हुए हैं’.