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गुल्लक को क्यों कहते हैं पिगी बैंक(गुल्लक)

नई दिल्ली. जब माता-पिता बच्चों में सेविंग्स की आदत डालने की शुरुआत करते हैं तो वो घर में गुल्लक  (गुल्लक) लेकर आते हैं. बच्चों से कहते हैं कि वो अपने पैसे गुल्लक में सेव करें, साथ में थोड़ा लालच भी दे देते हैं कि गुल्लक जब पूरा भर जाएगा तो उन्हें उनकी पसंद का सामान दिलाया जाएगा.

आम घरों में मिट्टी का गुल्लक आता है, पर अगर आप थोड़े शहरी माहौल में जाएंगे तो बच्चों के लिए थोड़े फैंसी गुल्लक भी लाए जाते हैं. जैसे अलग-अलग शेप और साइज़ के गुल्लक. पर सबसे ज्यादा कॉमन है सुअर से शेप का गुल्लक. अंग्रेजी में गुल्लक को पिगी बैंक कहा जाता है.

आपने नोटिस किया होगा कि कई फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स सेविंग्स प्लान के साथ सुअर के आकार के गुल्लक की फोटो लगाते हैं. गूगल इमेजेस पर जब आप सेविंग्स लिखकर सर्च करेंगे तो ज्यादातर फोटोज में आपको सुअर के आकार का गुल्लक दिखाई देगा. हालांकि गुल्लक का नाम पिगी बैंक होने की असली वजह सुअर नहीं है. बल्कि, कुछ और है.

पिग से आया पिगी बैंक का नाम
आज से कई सौ साल पहले जब बैंक्स नहीं होते थे, लॉकर और आलमारियां नहीं होती थीं तो लोग मिट्टी के बड़े-बड़े घड़ों में पैसे रखा करते थे. उस दौर में सोने, चांदी, कांसे के सिक्के चलते थे. उस दौर में मिट्टी के बर्तन खास तरह की मिट्टी से बनते थे. जिन्हें पिग क्ले कहा जाता था. लोग जिन बर्तनों में अपने पैसे या सिक्के जमा करते थे उन्हेंपिग बैंक या पिग पॉट कहा जाता था.

ब्रिटेन के पैरागॉन बैंक के ब्लॉग के मुताबिक, उस दौर में Y का प्रनंसिएशन U की तरह होता था, तो पिग को पग कहा जाता था. हालांकि, बाद के सालों में y को i की तरह इस्तेमाल किया जाने लगा. इस तरह मिट्टी के पॉट पिग और जानवर पिग का प्रनंसिएशन सेम हो गया. अब चूंकि दोनों शब्द एक जैसे ही सुनाई देते थे तो कुम्हारों नेपिग पॉट्स को पिग यानी सुअर के शेप में बनाना शुरू कर दिया. ताकि, पैसे सेव करने को थोड़ा मज़ेदार बनाया जा सके. ट्रेंड चल पड़ा और समय के साथ पिग बैंक्स का नाम पिगी बैंक हो गया. बाद के सालों में पिग और उसका मतलब पीछे छूट गया और लोग पिग को ही पिगी बैंक का ओरिजिन समझने लगे.

आज के समय में जब पैसों से जुड़ा सारा काम यूपीआई, कार्ड्स या नेट बैंकिंग से हो जाता है, तब कई लोग कैश रखना प्रिफर नहीं करते. पर बच्चों में छोटी उम्र से ही सेविंग्स की आदत डेवलप हो, उसके लिए जरूरी है कि उन्हें उनके खर्चों के लिए थोड़ा कैश दिया जाए और ये भी सिखाया जाए कि बचत पैसा उन्हें अपने गुल्लक में डालना है. गुल्लक से शुरू होने वाली ये आदत ही बाद में FD, RD, SIP जैसी आदतों में तब्दील होती है.

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