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विपक्ष संभल पर आक्रमक तो बांग्लादेश पर खामोश क्यों !

उत्तर प्रदेश के जिला संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी आहट सुप्रीम अदालत से नेताओं के विवादित बयानों से लेकर  राजनैतिक गलियारों तक में सुनाई दे रही है। बीजेपी को छोड़कर सभी राजनैतिक दलों के नेता जामा मस्जिद और पत्थरबाजों के पैरोकार बनकर खड़े हो गये हैं। हाथ मंे पत्थर और तमंचे लेकर पुलिस पर हमला करने वालों के पक्ष में खड़े यह नेता लगातार योगी सरकार और  स्थानीय प्रशासन के खिलाफ हमलावर हैं। सभी दलों के नेताओं ने संभल को अपना पिकनिक स्पाट बना लिया है। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हों या फिर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जैसे तमाम नेता कभी संभल कूच करने का नाटक करते हैं तो कभी अफवाह फैलाकर माहौल खराब कर रहे हैं। संभल के बिगड़े हालात को संभालने के लिये स्थानीय प्रशासन ने 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंद्ध लगा रखा है,लेकिन बीजेपी विरोधी नेताओं को जिले में शांति बरकरार हो इससे ज्यादा चिंता अपनी राजनीति चमकाने की है। इस समय संभल में सियासी नजरा ठीक वैसे ही नजर आ रहा है जैसा कभी अयोध्या  प्रभु श्रीराम लला के मंदिर निर्माण आंदोलन, मथुरा में श्री कृष्ण भगवान की जन्म स्थली एवं वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद बनाम साक्षात विश्वनाथ मंदिर मामले में देखने को मिला था और मिल रहा है। संभल विवाद और इसको लेकर हिंसा का मामला लोकसभा तक में गंूज चुका है।
                   कुल मिलाकर संभल विवाद के सहारे सपा प्रमुख अखिलेश यादव,कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अलावा ओवैसी जैसे नेता भी अपनी सियासत चमकाने में लगे हैं। मगर अफसोस की बात यह है कि संभल मामले में मोदी-योगी सरकार को घेरने में लगे दल और नेता बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ जारी हिंसा को लेकर अपने होंठ सिले हुए हैं,मानो यदि इन नेताओं ने बांग्लादेश के हिन्दुओं के पक्ष में कोई बयान दे दिया तो उनका मुस्लिम वोट बैंक उनसे खिसक जायेगा। हां, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जरूर बांग्लादेशी हिन्दुओं के प्रति खुल कर बोल रही हैं। ममता ने मोदी सरकार से सख्त कदम उठाने की भी बात कही है। वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और इस्कॉन से जुड़े संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार 02 दिसंबर को बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं, आम लोगों, भिक्षुओं ने आंदोलन किया। इन लोगों ने बांग्लादेश की सीमा पर पहुंचकर तमाम ट्रकों को रोके रखा, जो माल लेकर जा रहे थे। इसके चलते लगभग पूरे दिन ही बांग्लादेश के साथ कारोबार प्रभावित रहा। हजारों लोगों ने चिन्मय कृष्ण दास की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पेट्रोपोल पर 24 घंटे के लिए मालवाहक वाहनों को रोके रखा।प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करती तथा श्री दास को रिहा नहीं करती, तब तक पेट्रापोल सीमा पर आंदोलन जारी रहेगा। अखिल भारतीय संत समिति के बंगाल चौप्टर के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद ने भी कहा कि जब तक बंगलादेश की पुलिस हिंदुओं और मंदिरों पर हो रहे हमले को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करती, तब तक पेट्रापोल सीमा पर उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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