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( Aghori )
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अघोरी ( Aghori )शव के साथ क्यों बनाते हैं संबंध?

अघोरी बाबा : अघोरी ( Aghori ) बाबाओं को लेकर लोगों के दिल में कई सवाल उठते हैं। उनके रहन-सहन, खानपान और तमाम चीजें हर किसी को हैरान कर देती है। अघोरी भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं लेकिन हर को अघोरी नहीं बन सकता है। इसकी डगर काफी मुश्किलों भरा और शर्तों भरा होता है। अघोरी बनने के लिए तमाम चीजों से गुजरना पड़ता है, जिसे कोई आम व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है। इनकी जिंदगी काफी रहस्मयी भरी होती है। अघोरी बाबाओं को लेकर कई बातें प्रचलित हैं, जिनका जिक्र हम यहां करेंगे।

श्मशान की आग की राख को शरीर में लगाते हैं
अघोरी शिव भक्ति की धुन में रहते हैं। उनकी भक्ति का तरीका अन्य दूसरे शिव भक्तों से बिल्कुल भिन्न रहती है। भगवान भोलेनाथ की तरह ही अघोरी बाबा भी श्मशान की राख को अपनी शरीर में लगाएं रहते हैं। उनकी तरह ही अघोरी भी जटा और रुद्राक्ष की माला धारण किए होते हैं। इतना ही नहीं भगवान शिव की तरह ही वो दुनियावी माया से दूर अपनी साधना और शिव भक्ति में लीन रहते हैं। अघोरी बाबा से अधित्तर लोग डरते हैं लेकिन एक बार अगर उनकी कृपा दृष्टि जिसपर पड़ जाए तो उसका कल्याण तय होता है। अघोरी बाबा दुनिया के सामने केवल महाकुंभ और माघ मेले के मौके पर आते हैं।

अघोर शव के साथ बनाते हैं संबंध?
अघोरी बाबाओं के लेकर कई बातें कही जाती हैं। इसमें एक बात यह भी है कि वे मुर्दों के साथ संबंध बनाते हैं। इस बात को लेकर अघोरी बाबाओं का कहना है कि यह शिवकी साधना का एक तरीका है। अघोरियों का मानना है कि अगर अगर वे शारिरिक संबंध बनाने के दौरान भी शिव की उपासना कर सकते हैं तो यह उनकी साधना का बहुत ही ऊंचा स्तर होता है। अघोरियों को लेकर यह बात भी कही जाती है कि वे ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं बल्कि वो महिलाओं के साथ मासिक धर्म के दौरान भी संबंध बनाते हैं। इससे उनकी अघोर विद्या को बल मिलता है और उनकी शक्ति बढ़ती है।

खातें हैं इंसान का मास!
अघोरी ज्यादातर श्मशान घाटों में पाए जाते हैं। उन्हें लेकर कहा जाता है कि ले अधजले लाशों का मांस खाते हैं। वे शरीर के द्रव्य भी प्रयोग करते हैं। इसके पीछे उनका मानना है कि ऐसा करने से उनकी तंत्र करने की शक्ति प्रबल होती है. वहीं जो बातें आम जनमानस को वीभत्स लगती हैं, अघोरियों के लिए वो उनकी साधना का हिस्सा है.अघोरी अपने पास हमेशा नरमुंड यानी इंसानी खोपड़ी को रखते हैं, इसे ‘कापालिका’ कहा जाता है।