धर्म - अध्यात्म

अघोरी क्यों शिव को मानते हैं गुरु और शव (dead body)पर बैठकर करते हैं साधना

अघोर साधना: अघोरियों की साधना हमेशा से बहुत रहस्य से भरी रही है. तंत्र – मंत्र, मृत शरीर (dead body) और नरमुंड उनकी साधना का हिस्सा होते हैं, जिससे वो बड़े बड़े काम सिद्ध करते हैं. वह भगवान शिव को सबसे बड़ा अघोरी मानते हैं और वही उनके सबसे बड़े गुरु होते हैं. भारत में प्राचीन काल से अघोरियों की अपनी एक अलग दुनिया रही है.
अघोरी खुद को पूरी तरह से शिव में लीन करना चाहते हैं. वह शिव को अपना परम देवता और गुरु मानते हैं. वैसे अघोर शिव के पांच रूपों में ही एक माना जाता है. शिव की उपासना करने के लिए अघोरी शव पर बैठकर साधना करते हैं. ‘शव से शिव की प्राप्ति’ का यह रास्ता अघोर पंथ की निशानी है. ये अघोरी 3 तरह की साधनाएं करते हैं, शव साधना, जिसमें शव को मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है. शिव साधना, जिसमें शव पर एक पैर पर खड़े होकर शिव की साधना की जाती है और श्मशान साधना, जहां हवन किया जाता है.

क्या वो शव के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं. ये बहुत प्रचलित धारणा है कि अघोरी साधु शवों की साधना के साथ ही उनसे शारीरिक सम्बन्ध भी बनाते हैं. यह बात खुद अघोरी भी मानते हैं. इसके पीछे का कारण वो यह बताते हैं कि शिव और शक्ति की उपासना करने का यह तरीका है. उनका कहना है कि उपासना करने का यह सबसे सरल तरीका है, वीभत्स में भी ईश्वर के प्रति समर्पण. वो मानते हैं कि अगर शव के साथ शारीरिक क्रिया के दौरान भी मन ईश्वर भक्ति में लगा है तो इससे बढ़कर साधना का स्तर क्या होगा
सिर्फ शव नहीं, जीवितों के साथ भी बनाते हैं सम्बन्ध: अन्य साधुओं की तरह ये ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते. बल्कि शव पर राख से लिपटे मंत्रों और ढोल नगाड़ों के बीच शारीरिक सम्बंध बनाते हैं. यह शारीरिक सम्बन्ध बनाने की क्रिया भी साधना का ही हिस्सा है खासकर उस वक्त जब महिला के मासिक चल रहे हों. कहा जाता है कि ऐसा करने से अघोरियों की शक्ति बढ़ती है.

शिव की वजह से ही धारण करते हैं नरमुंड: अगर आपने अघोरियों की तस्वीरें देखी होंगी तो यह जरूर पाया होगा कि उनके पास हमेशा एक इंसानी खोपड़ी जरूर रहती है. अघोरी मानव खोपड़ियों को भोजन के पात्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण इन्हें ‘कापालिक’ कहा जाता है. कहा जाता है कि यह प्रेरणा उन्हें शिव से ही मिली. किवदंतियों के अनुसार एक बार शिव ने ब्रह्मा का सिर काट दिया था और उनका सिर लेकर उन्होंने पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाए थे. शिव के इसी रूप के अनुयायी होने के कारण अघोरी भी अपने साथ नरमुंड रखते हैं.

सिर्फ कुत्ता पालते हैं अघोरी: अघोरियों को कुत्तों से बहुत प्रेम होता है. अन्य सभी जानवरों जैसे गाय, बकरी या इंसान से दूरी बनाने वाले अघोरी अपनए साथ और आस-पास कुत्ता रखना पसंद करते हैं.
हर इंसान अघोरी है: अघोरियों का मानना है कि हर व्यक्ति अघोरी के रूप में जन्म लेता है. उनका कहना है कि जैसे एक नन्हें बच्चे को अपनी गंदगी, भोजन में कोई अंतर नहीं समझ आता, वैसे ही अघोरी भी हर गंदगी और अच्छाई को एक ही नजर से देखते हैं.

उनके पास है एड्स और कैंसर का भी इलाज: बहुत से अघोरियों का ये भी दावा है कि उनके पास एड्स और कैंसर का इलाज है. इसका ना तो कोई वैज्ञानिक आधार है और प्रमाण. फिर भी अघोरियों का कहना है कि शव के शरीर से तेल निकालकर उन्होंने बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज ढूंढ निकाला है.

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