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कहां है भारत का सबसे पुराना (oldest)हाईवे

पुराने हाईवे: भारत के सबसे पुराने (oldest) हाईवे का नाम ग्रेंड ट्रंक रोड या जीटी रोड है. इसकी कुल लंबाई 2500 किलोमीटर के करीब है. यह एक प्रमुख ट्रेड रूट हुआ करता था. आज भी यह हाईवे भारत की सबसे प्रसिद्ध सड़कों में से एक है और पूरी तरह काम कर रहा है. माना जाता है कि यह रास्ता चंद्रग्रुप्त मौर्य के शासन काल से ही बना हुआ है. इसका इस्तेमाल सिकंदर ने भी किया था. हालांकि, मौजूदा समय में जिस जीटी रोड को हम देखते हैं उसे उत्तर भारत के शासक शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था. तब इसका नाम सड़क-ए-आजम था.

समय के साथ अलग-अलग राजाओं ने इसको और आगे बढ़ाया. आज यह सड़क आफगानिस्तान तक जाती है. इसका नाम भी कालांतर में बदलता रहा. अंत में अंग्रेजों ने इसे जीटी रोड कहा और तब से यह हाईवे इसी नाम से जाना जाने लगा. इसकी शुरुआत बांग्लादेश से होती है और यह अफगानिस्तान के काबुल तक जाता है.
समय-समय पर बदला नाम
जैसा कि हमने बताया कि इसके कई नाम बदले गए. मान जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में इस मार्ग का नाम उत्तर पथ था. इसके बाद शाह राह-ए-आजम, सड़क-ए-आजम, बादशाही सड़क, द लॉन्ग वॉक और अंत में ग्रैंड ट्रंक रोड पर आकर इसके नाम में परिवर्तन रुक गया. इस रोड को ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिग एक ऐसी जीवनदायनी नदी कहते थे जो दुनिया में और कहीं नहीं है. हालांकि, आज सबसे लंबे हाईवे अमेरिका और चीन के पास हैं.
किस लिए होता था इसका इस्तेमाल
यह एक ऐतिहासिक सड़क है. ऐसा माना जाता है कि मौर्य काल में भारत और कुछ पश्चिम एशिया देशों के बीच व्यापार के लिये यह प्रमुख मार्ग था. इसका निर्माण 8 चरणों में किया था. आज यह सड़क चिटागॉन्ग से शुरू होती है. इसके बाद भारत में बर्धमान, आसनसोल, धनबाद, सासाराम, मुगलसराय, प्रयागराज, अलीगढ़, गाजियाबाद, दिल्ली, करनाल, जालंधर, और अमतृसर तक जाती है. इसके बाद पाकिस्तान में यह लाहौर, झेलम, रावलपिंडी और पेशावर होते हुए खैबर दर्रे से अफगानिस्तान में प्रवेश कर जाती है और काबुल में खत्म हो जाती है. भारत में ग्रैंड ट्रंक रोड अलग-अलग हाईवेज में बंटी हुई है. इसमें एनचए-1, एनएच-2, एनएच-5 और एनएच-91 शामिल हैं.

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