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ईरान (Iran)में स्कूल छात्राओं के साथ ये क्या हुआ?

तेहरान. ईरान (Iran) के पांच प्रांतों में दर्जनों स्कूली छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया. ईरान के हमेदान, ज़ंजान, पश्चिम अज़रबैजान, फर्स और अल्ब्रोज़ में दर्जनों बच्चियों को जहर दिए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है. स्थानीय मीडिया की मानें तो इन स्कूली छात्राओं को इलाज के लिए स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और ये बेहतर हालत में हैं. ईरान में गलत तरीके से हिजाब पहनने के लिए गिरफ्तार की गई 22 वर्षीय ईरानी-कुर्द महिला महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद देशव्यापी विरोध में पांच महीने से अधिक समय तक चला. इसके बाद से ही वहां जहरखुरानी के हमले तेज हो गए हैं.

रिपोर्टों में कहा गया है कि बुधवार को, कम से कम 10 लड़कियों के स्कूलों अर्दबील में सात और राजधानी तेहरान में तीन को जहरीले हमलों के लिए निशाना बनाया गया था. अर्दबील ने 108 छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया, जिनमें से सभी की हालत स्थिर है. फ़ार्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, लड़कियों के माता-पिता का कहना है कि तेहरान के पश्चिमी इलाके तेहरानसर के एक हाई स्कूल में छात्रों पर एक तरह का जहरीला स्प्रे किया गया था. लेकिन अभी इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है.
राष्ट्रपति ने कहा- ये दुश्मन की साजिश
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने खुफिया और आंतरिक मंत्रियों से लोगों में भय और निराशा पैदा करने के लिए दुश्मन की साजिश करार देते हुए जहर देने के मामलों की जांच करने के लिए कहा.

ईरान के अधिकारियों ने शुरुआत में इन घटनाओं को खारिज कर दिया, लेकिन अब उन्हें जानबूझकर अंजाम दिए गए हमलों के रूप में वर्णित किया गया है. स्थानीय मीडिया की खबरों में ऐसे करीब 30 स्कूल की पहचान की गई, जहां जहर देने की ऐसी घटनाएं हुई हैं. ऐसी अटकलें हैं कि इन घटनाओं का उद्देश्य आठ करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश में लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना हो सकता है.
ये हो सकता है इन हमलों का कारण
अधिकारियों ने संदिग्धों का नाम नहीं बताया है, लेकिन इस तरह के हमलों से आशंका जताई जा रही है कि लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के लिए जहर देने की घटनाएं हुई हैं. ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 40 से अधिक वर्षों में लड़कियों की शिक्षा को कभी चुनौती नहीं मिली.

ईरान भी पड़ोसी अफगानिस्तान में तालिबान से लड़कियों और महिलाओं को स्कूल-कॉलेज जाने पर लगी रोक को हटाने का आह्वान करता रहा है. ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 125 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कोम में नवंबर के अंत में इस तरह का पहला मामला सामने आया. शिया समुदाय के लिए पवित्र इस शहर में नवंबर में नूर याज्दानशहर कंजर्वेटरी के छात्र बीमार पड़ गए. वे दिसंबर में फिर से बीमार पड़ गए.

लड़कियों को हो रही ये परेशानियां
बच्चों ने सिरदर्द, बेचैनी, सुस्ती महसूस करने या चलने-फिरने में असमर्थ होने की शिकायत की. कुछ छात्रों ने बताया कि नारंगी, क्लोरीन या साफ-सफाई में इस्तेमाल होने वाले रसायनों जैसी गंध आई थी. शुरुआत में प्रशासन ने मामलों में कोई संबंध नहीं देखा. यहां सर्दी के दौरान तापमान रात में जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है.

कई स्कूल कमरों को गर्म रखने के लिए प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करते हैं जिससे ये भी कयास लगाए गए कि लड़कियां कार्बन मोनोऑक्साइड जहर से प्रभावित हुईं. शुरुआत में शिक्षा मंत्री ने खबरों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया.

लेकिन प्रभावित स्कूलों में केवल किशोरियों को ही पढ़ाया जाता है जिससे संदेह पैदा हुआ कि यह आकस्मिक नहीं था. इसके बाद तेहरान के साथ कोम और बोरुजेर्ड में भी इस तरह की घटनाएं सामने आईं. लड़कों के एक स्कूल को भी निशाना बनाया गया..

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