धर्म - अध्यात्म

क्या कहता है विज्ञान (science)मृत्यु का रहस्य के बारे में?

मृत्यु का रहस्य: ये सवाल हमेशा से पूछा जाता रहा है लेकिन सही जवाब शायद ही कभी मिला हो. तमाम मिथकीय विश्वासों के बाद भी मृत्यु के रहस्य का समाधान नहीं हो सका है. वाकई आज भी ये किसी रहस्य से कम नहीं. विज्ञान (science) ने दुनिया की तमाम बातों पर बहुत तार्किक और वैज्ञानिक ढंग से रोशनी डाली है लेकिन जीवन और मृत्यु पर आकर वो भी ठिठक जाता है.

गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने एक किताब लिखी कि मरने के बाद हमारा क्या होता है. इस किताब के जरिए उन्होंने मृत्यु से जुड़े कुछ रहस्यों पर से पर्दा उठाने की कोशिश की. उन्होंने लिखा, ‘शरीर से निकलने के बाद आमतौर पर आत्माएं कुछ समय तक विश्राम की स्थिति में होती हैं. फिर नए जन्म को धारण करती हैं.’ विदेश में पारलौकिक विज्ञान को जानने वाले भी ऐसा ही कहते हैं
प्राचीन बेबीलोन और मिस्र में निधन के बाद शव को खास लेप लगाकर उसे ताबूत में रखकर दफनाया जाता था. माना जाता था कि एक समय बाद आत्मा फिर पुराने शरीर में वापस लौट आएगी. पार्थिव शरीर फिर जी उठेगा. हालांकि ऐसा कभी हुआ नहीं.
परमहंस योगानंद की दुनियाभर में लोकप्रिय आत्मकथा योगी कथामृत भी इस विषय पर प्रकाश डालती है. इस किताब का दुनियाभर की 20 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. ये किताब भी मृत्यु के बाद होने वाली स्थितियों पर प्रकाश डालती है. किताब में अपने आध्यात्मिक गुरु श्रीयुक्तेश्वरजी के हवाले से वह कहते हैं, मृत्यु के बाद पृथ्वी के सभी वासियों को सूक्ष्मलोकों में जाना होता है. वहां से आध्यात्मिक दृष्टि उन्नत वासियों को फिर हिरण्यलोक भेजा जाता है. वहां जाने वाले बार बार के पुनर्जन्मों से मुक्ति पा जाते हैं.
दुनिया में सैकड़ों ऐसे उदाहरण हैं जब दिल की धडक़नें कुछ क्षणों या घंटों के लिए रुक जाती हैं. फिर अपने आप चालू हो जाती हैं. इसी तरह सांस लंबे समय के लिए रुक जाती है और खुद ब खुद शुरू हो जाती है. कुछ एेसे मामले भी देखे गए जब हृदय की धडकनें 48 घंटों के लिए रुक गईं. ढेर सारे उदाहरण हैं जब लोगों को मृत घोषित कर दिया गया और वो कुछ देर बाद आश्चर्यजनक ढंग से जिंदा हो गए
मृत्यु के बाद आत्मा के अस्तित्व को लेकर बहस हमेशा चलती रही है. कुछ तो इसके किसी अस्तित्व से इनकार करते हैं तो कुछ कहते हैं कि आत्मा का अस्तित्व तभी तक है जब तक की मानवीय शरीर. जब शरीर मृत होता है तो आत्मा का भी अंत हो जाता है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-आत्मा अनंत, अजर और अमर है, ये कभी नहीं मरती. ऋगवेद में लिखित प्रार्थनाओं में आत्मा के होने को माना गया है.
वेदों में सैकड़ों ऐसे अंश हैं, जिनसे साफ लगता है कि प्राचीन आर्य मृत्यु के उपरांत आत्मा पर विश्वास करते थे. प्राचीन हिन्दू मानते थे कि एक स्वर्ग है, जो भगवान ब्रह्मा का लोक है. लेकिन बहुत सी बातें ऐसी हैं, जो महज मिथक की तरह हैं, हमारे विश्वासों और मान्यताओं में हैं, इसलिए हैं क्योंकि हजारों साल और सैकड़ों पीढियों से वह अमूर्त रूप में यात्रा कर रही हैं.
हालांकि बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिनका न तो सही उत्तर विज्ञान के पास है और न ही वो मृत्यु से जुड़े रहस्य के कई घेरों को भेद पाया है. कई जगह विज्ञान निरुत्तर है. ये सवाल अनंत काल से पूछे जा रहे हैं कि जीवन कहां से आया और मृत्यु कहां ले जाती है? हो सकता है कभी इनका जवाब मिल सके या हो सकता है कभी न मिले.
इसी तरह कुछ योगियों की किताबों में लिखा गया है कि मृतात्मा स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर के तौर पर अलग हो जाती है. सूक्ष्म शरीर ठीक स्थूल शरीर की ही बनावट का होता है लेकिन ये अणुओं का बना होता है. बस ये किसी भौतिक क्रिया कलाप में शामिल नहीं हो सकता. मृतक को आश्चर्य होता है कि मेरा शरीर कितना हल्का हो गया. वह हवा में पक्षियों की तरह उड़ सकता है. कहीं भी आ जा सकता है. स्थूल शरीर छोड़ने के बाद वह अपने मृत शरीर के आस-पास ही मंडराता रहता है.
विज्ञान कहता है कि जिस तरह दुनिया की तमाम जड़ और चेतन वस्तुओं में धीरे धीरे क्षय होता है, उसी तरह मानवीय शरीर में भी. चिकित्सा विज्ञान कहता है कि 30 साल के बाद हर दस साल पर हड्डियों की डेंसिटी एक फीसदी कम होती है. 35 साल के बाद शारीरिक विघटन के चलते मांसपेशियां घटने लगती हैं. 80 की उम्र आते आते 40 फीसदी मांसपेशियां खत्म हो जाती हैं. ताकत क्षीण हो जाती है. बचपन से लेकर जवानी तक शरीर में कोशिकाएं कोपलों की तरह फूटती हैं और बढती हैं लेकिन उम्र बढने के साथ इनका विभाजन कम होता है.

कोशिकाओं का डीएनए नष्ट हो जाता है. मृत्यु से ठीक पहले क्षीण अंग एक एक करके काम करना बंद कर देते हैं. श्वांस प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है. उसके बंद होते ही हृदय पंप करना बंद कर देता है. अगले पांच मिनट में शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है. आंतरिक कोशिकाएं डेड होने लगती हैं. इस स्थिति को प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न कहते हैं. चिकित्सा विज्ञान इस प्वाइंट ऑफ रिटर्न को भी एक रहस्य ही मानती है. इस स्थिति में आने के बाद शरीर का तापमान हर घंटे 1.5 डिग्री कम होता जाता है यानि 24 घंटे तक त्वचा की कोशिकाएं जीवित रहती हैं.

 

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