उत्तराखंड

खाकी के पीछे छिपी अंतर्वेदना क्या महशूस की आपने

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

कोरोना महामारी के महाभयानक संकट में पुलिस ने वास्तव में जो मानवीयता से परिपूर्ण उत्तरदायित्वों का भलीभांति निर्वाहन करते हुए ऐक अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया उसे इस देश की जनता कभी भुला नहीं सकती खुद भूखे रहकर गरीब बेबस लाचार जनता को अपना भोजन देने वाले खाकी वर्दीधारी भगवान का स्वरूप बन कर समाज व जनता के बीच अपनी जान की परवाह ना करते हुए रात दिन कर्मठता ऐवं लगनशीलता के साथ दिखे उसे काश गंभीर लेखनी के धनी पत्रकार अपनी कलम व्दारा जनता के बीच ऐक नया संदेश देते हुए समाचार लिखते परन्तु नहीं ऐसा संम्भव नहीं हो सकता क्यों कि पत्ररारिता के भी अब कई रूप हो चुके हैं स्टेडंर्ड पत्रकार, चाटुकारिता पूर्ण पत्रकार, ब्लेक मेलिंग सुपर हिट पत्रकार, आदि आदि लेकिन क्या कभी सोचा था आपने कि जिस प्रसाशन की बुराई करते हम थकते नहीं हैं वही प्रसाशन ऐक दिन हमारी जिंदगी के लिए अपना जीवन खतरे में डाल देगा ! वी ऐस इंडिया न्यूज परिवार हरिव्दार जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों का सदैव रिणी रहेगा मुख्य रुप से श्री मान जिलाधिकारी हरिद्वार, अपर जिलाधिकारी के के मिश्रा जी, ऐस ऐस पी हरिव्दार सेंथिल अबुदई व सभी सहयोगी अधिकारियों तथा पुलिस बिभाग की लगनशीलता व साहस को मैं अपनी कलम से नमन करता हूँ 🙏आइये महशूस करते हैं पुलिस के अन्तर्मन का दर्द ✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍

क्या आपने महशूस किया कभी पुलिस का दर्द! जानियें सच्चाई! !प्राइवेट कम्पनियों के कर्मचारी आठ घंण्टे से अधिक ड्यूटी के ओवरटाइम लेते हैं लेकिन हमारी सुरक्षा में तत्पर ऐक फोन पर दौड़ कर आने वाली पुलिस 24 घण्टे ड्यूटी करने के बाद भी किसी प्रकार का ओवरटाइम नहीं लेती ना ही कोई ऱविवार की छुट्टी ना ही होली दिवाली या त्योहार आदि सोचिये उनके परिवार का क्या आलम होगा उसपर भी पेंशन सिस्टम समाप्त होना कितना सोचनीय विषय है आपको बताते चलें कि छुट्टी की अर्जी पेश करने के बाद छुट्टी मिले ना मिलें यह भी निश्चित नहीं होता फिर इमरजेंसी कितनी भी क्यों ना हो सोच कर देखिये जनाब पुलिस पर तरह तरह के आरोप प्रत्यारोप करने वाले यह महशूस करके तो देंखें तब हकीकत का पता चलेगा बीते दिनों मुजफ्फरनगर में रहने वाले एक सिपाही ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा ही सौंप दिया था पुलिस कर्मियों की समस्याओं को देख रहे तथा छुट्टी संबंधी तमाम समस्याओं की सुनवाई कर रहे एसएसपी उस समय चौक पड़े जब अचानक एक सिपाही ने उनसे इस्तीफा थमा दिया और सिपाही को बहुत समझाने की कोशिश की गई साथ ही उन्होंने समस्या का निराकरण करने का भी आश्वासन दिया लेकिन सिपाही चला गया पत्रकारों से बातचीत के दौरान उसने अपनी वास्तविक पीड़ा बताई फरवरी 2018 में उसकी शादी होने के बाद छुट्टी न मिलने तथा काम की अधिकता के कारण उसकी परिवारिक दूरियां बढ़ती चली गई और समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया इसी प्रकार फर्रुखाबाद में एक स्पेक्टर ने अपने आवास पर आत्महत्या करने के इरादे से स्वयं को गोली मारना चाही अचानक सिपाही ने दौड़कर हाथ मार दिया जिससे बाल-बाल बच गए सूचना मिलने पर एसपी डॉ अनिल मिश्रा मौके पर पहुंचे व घटना की विस्तृत जांच की गई वास्तव में अगर देखा जाए तो पुलिस का दर्द केवल पुलिस तक ही सीमित है पुलिस ही जान सकती है कि वास्तव में कितनी भयानक परिस्थितियों से जूझने के बाद पूरी तरह से कर्तव्यनिष्ठ होकर सर्दी गर्मी बरसात हर मौसम को मात देते हुए अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं तब जाकर हम चैन की नींद सो पाते हैं हमारी माताये बहिने सुरक्षित घर पहुँच पातीं हैं !

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