हम शांति से जीना चाहते हैं.शहबाज शरीफ(Shahbaz Sharif)
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान ने एक ”सबक” सीख लिया है और वह भारत के साथ शांति से रहना चाहता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पड़ोसियों को बम और गोला-बारूद पर अपने संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहिए. लेकिन अचानक भारत को लेकर पाकिस्तान के रुख में इस तरह के बदलाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं. क्या वाकई पाकिस्तान शांति चाहता है या फिर किसी दबाव के कारण शांति की बातें कर रहा है. अमेरिका के डेलावेयर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज प्रोग्राम के डायरेक्टर प्रोफेसर मुक्तदर खान का मानना है कि पाकिस्तान ने संयुक्त अरब अमीरात के दबाव में शांति वार्ता का सुर छेड़ा है.
शहबाज शरीफ ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 फिर से लागू करने के बाद ही भारत से बात की जाएगी. मुक्तदर खान ने इस मामले को लेकर कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा साफ तौर पर वहां के अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के बीच का है. इससे पाकिस्तान को कोई मतलब नहीं होना चाहिए. खासकर भारत में कुछ वर्ग के मुसलमान से नफरत की बात करें तो उसके लिए भी पाकिस्तान ही जिम्मेदार है.
क्यों यूएई में छेड़ा अमन का सुर?
प्रोफेसर मुक्तदर का मानना है कि यूएई में शहबाज शरीफ ने टीवी पर दुनिया से अपने देश के लिए आर्थिक मदद की मांग की. मुक्तदर का कहना है कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत काफी खस्ता है. यूएई पाकिस्तान को सस्ता तेल, ऋण दे रहा है. ऐसे में शरीफ का यूएई दौरा उसकी जी हजूरी करना भी है. यही कारण रहा कि शरीफ ने वहां जाकर भारत के साथ अमन कायम करने की बात की. मुक्तदर इसका एक बड़ा कारण ये भी बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना उन्हें अपने देश में ऐसा नहीं करने देगी.
पिछले कुछ सालों में भारत के खाड़ी देशों के साथ संबंध अच्छे हुए हैं. ऐसे में शरीफ भी मदद के लिए इन देशों से बातचीत बरकरार रखना चाहते हैं.