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मजदूरों के अधिकारों का हनन ही सरकार के पतन का कारण बनेगा

अरूण सैनी

 सम्पादक शिवाकान्त पाठक

हरिव्दार!ऐक भेंट वार्ता के दौरान अरूण सैनी ने कहा कि लॉक डाउन का अचानक लिया गया निर्णय व वुहान शहर में फैले कोरोना की पुष्टि होने के बावजूद अन्तर्राष्ट्रीय सीमायें तुरन्त सील ना करना साथ ही दिल्ली ऐवं महाराष्ट्र में स्थित नियंत्रण से बाहर होने पर प्रवासियों को अपने अपने प्रदेश भेजने जैसे निर्णय किसी दूरगामी सोच को नहीं दर्शाते क्योंकि मकान का किराया व परिवार की उदर पूर्ति की चिंता में गरीब मजदूरों का लॉक डाउन की स्थिति में पलायन सरकार के प्रत्येक फैसले पर सवालिया निशान साबित हुये 1600 कि. जी तक पैदल चलकर गोद में दुधमुंहे बच्चों को लियें माताओं की हृदय विदारक पीड़ा का अहसास सरकार को नहीं हुआ वोट हांसिल करने के बाद पूंजीपतियों के समर्थन व मजदूरों की जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कानून बनाकर यदि सरकार यह साबित करना चाहती है कि राजनीति का वजूद लाशों के ढेर पर टिका है तो वह स्पष्ट समझ ले कि गरीब मजदूरों की संख्या पूजींपतियों से कई गुना अधिक है व निर्णायक भूमिका मजदूर ही निभायेगें उनके अधिकारों का हनन व शोषण ऐक नया इतिहास बनकर सामने आयेगा क्यों कि जासु राज कर प्रजा दुखारी ,सो नर अवस नरक अधिकारी !!अर्थात जिस राजा के राज्य की जनता दुखी हो वह राजा अवस्य नरकगामी होता है!
हीरो मोटोकॉर्प के अरुण सैनी ने उत्तराखंड सरकार द्वारा करोनाकॉल की आड़ में श्रम कानूनों में संशोधन के नाम पर जो बदलाव किए जा रहे हैं उनका पुरजोर विरोध किया और सरकार को बताया कि मजदूर किसान और आम जनता ही सरकार को बनाती है पूंजीवादी कभी वोट नहीं डालता और मजदूर किसान सब देख रहा है मजदूर किसान देश की नींव होता है और जब चाहे सत्ता का तख्ता पलट सकता है और सरकार को श्रम कानून वापस लेने के लिए कहा !

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