पीएम नरेंद्र मोदी का कालेधन पर अटैक के अगले हथियारों की जोरदार तैयारी
नई दिल्ली: डिजिटल रूपी (Digital Rupee) या कहें डिजिटल रुपया (Digital rupay) देश का भविष्य बनने जा रहा है. यह बात दिसंबर माह में अपनी खबर में हमने कही थी.बात कुछ लोगों को सही लगी और बहुतों को यह कोरी बकवास लगी थी. तब बात सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के आरंभ होने पर कही गई थी. इस पायलट प्रोजेक्ट को भारत सरकार के निर्देश पर आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया Reserver Bank of India RBI) ने इसे प्रायोगिक तौर पर चयनित चार शहरों और चार बैंकों के जरिए आरंभ किया था. यह प्रक्रिया अभी भी जारी है. आरंभ में यह लेन-देन लोगों के बीच और मर्चेंट टू मर्चेंट, मर्चेंट टू कस्टमर भी जारी है. आज के समय में जिन भी भारतीय रुपये का डिनोमिनेशन (Digital Rupee Denomination) उपलब्ध है उसी में डिजिटल रुपये लॉन्च किया गया है. यानि भारत में वर्तमान में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 ₹200, ₹500, तथा ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट हैं जिन्हें आरबीआई RBI जारी करता है. इन्हीं मूल्यवर्ग के नोटों को आरबीआई द्वारा डिजिटल रूपी (RBI Digital Rupi) में भी जारी किया गया है. फिलहाल जारी पहले चरण में ई-रुपया (e-Rupee) को नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है.
Digital Rupee डिजिटल रुपी के ट्रायल को फिलहाल सीमित उपयोगकर्ताओं के बीच जारी किया गया है यानि कुछ चयनित लोगों को समूह के बीच जिसे क्लोज्ड यूजर ग्रुप कहा जा रहा है. फिलहाल चार बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), यस बैंक (YES Bank) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) को शामिल किया गया है. अब करीब और बैंकों में यह प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है.
यह पूरा मामला पिछले तीन महीनों में कहां तक पहुंचा है और क्यों लोगों को यह समझ जाना चाहिए कि यह भविष्य (Digital Rupee future) है और लोगों को आगे इसी प्रकार से अपने लेन-देन करने होंगे. नरेंद्र मोदी बतौर पीएम देश में काले धन के प्रयोग को पूरी तरह से समाप्त करना चाहते हैं. पहले भी नोटबंदी (NotesBan demonetization) का मकसद केवल काला धन समाप्त (Ending Black Money) करना था लेकिन इस पर सरकार पूरी तरह से अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हो सकी. नकदी लेन-देन (Cash Transactions) के कारण एक बार कालाधन अर्थव्यवस्था (Black Money in economy) में पूरे देश को खोखला कर रहा है. सरकार हाथ पर हाथ धर के नहीं बैठ सकती है. अब इसका पक्का इलाज करने के इरादे से डिजिटल रुपी का लेन-देन (Digital Rupee Transaction) लोगों के बीच प्रचलित करने का सरकार का इरादा साफ दिखाई दे रहा है.इस बारे में सोमवार को संसद में सवाल पूछा गया. सवाल और सवाल का जवाब आपको कुछ इशारा करता है. इस सवाल और सरकार की ओर से इसका जवाब गूढ़ मायने रखता है.
सांसद धैर्यशील संभाजीराव माणे और संजय सदाशिव राव मांडलिक ने सवाल पूछा है. सवाल में पूछा कि ऐसा कोई पायलट प्रोजेक्ट चालू है. अगर है तो तब से अब तक आरबीआई ने कितना डिजिटल रुपी जारी किया है. यह खुदरा और थोक बाजार के लिए कितना जारी किया गया है. संसद में डिजिटल रुपी पर सवाल का सरकार ने दिया जवाब Government Reply on Digital Rupee in Parliament
सांसदों ने पूछा क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि
(क) क्या सरकार ने हाल ही में देश में रिटेल ई-रुपया से संबंधित एक पायलट परियोजना शुरु की है और यदि हां, तो इसके शुभारंभ से अब तक खुदरा और थोक सिगमेंट के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी की गई ई-रुपया की कुल राशि सहित तस्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(ख) कुल कितनी थोक इकाइयों ने ई-रुपया से स्वयं को संबद्ध किया था और इसे स्वीकार करना शुरू कर दिया था;
(ग) क्या भारतीय रिज़र्व बैंक की उक्त पायलट परियोजना को जनता से अपेक्षित प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है और यदि हां, तो तत्संवंधी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं;
(घ) सरकार द्वारा यूपीआई भुगतान प्रणाली की तरह ही आम जनता के बीच ई-रुपये को लोकप्रिय बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं/उठाए जा रहे हैं?
इस संबंध में सरकार ने संसद में जवाब दिया है.
ई-रुपये के संबंध में धैर्शशील संभाजीराव माणे और संजव सदाशिव राव मांडलिक द्वारा पूछे गए दिनांक 13 मार्च, 2023 को उत्तरार्थ तारांकित प्रश्न संख्या *178 में संदर्भित विवरण (क) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 नवंबर, 2022 को थोक सिगमेंट (ई रुपया-डब्ल्यू) में और 1 दिसंबर, 2022 को खुदरा सेगमेंट (ई रुपया-आर) में डिजिटल रुपये में पायलट परियोजना शुरू की है.
ई रुपया-आर एक डिजिटल टोकन के रूप में है जो वैध मुद्रा का प्रतिनिधित्व करता है. यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जा रहा है जिस प्रकार वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. यह वित्तीय मध्यस्थों, अर्थात बैंकों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है. उपयोगकर्ता भागीदार बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई रुपया -आर के साथ लेनदेन कर सकते हैं और मोबाइल फोन/उपकरणीं पर संग्रहीत कर सकते हैं.
ई रुपया-आर में भरोसा, सुरक्षा और निपटान को अंतिम रूप देने जैसी भौतिक नकदी की: सुविधाएं प्रदान करता है. नकदी की भांति, यह “कोई ब्याज अर्जित नहीं करता है और इसे बैंकों में जमा राशि जैसे धन के अन्य रूपों में परिवर्तित किया जा सकता है.
28 फरवरी, 2023 की स्थिति के अनुसार, प्रचलन में कुल डिजिटल रुपया – खुदरा (ई ₹-आर) और डिजिटल रुपया – थोक (ई ₹-डब्ल्यू) क्रमशः 4.14 करोड़ रुपये और 126.27 करोड़ रुपये है.
(ख) डिजिटल रुपया थोक पायलट परियोजना में नौ बैंक अर्थात भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा, बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी भाग ले रहे हैं.
(ग) और (घ) खुदरा सिगमेंट के लिए ई रुपया -पायलट परियोजना 1 दिसंबर, 2022 को सीमित प्रयोगकर्ता समूह में 5 चुनिंदा स्थानों पर शुरू की गई थी ताकि व्यक्ति से व्यक्ति (पी 2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी 2 एम) लेनदेन किए जा सकें. साथ लिए गए (ऑन-बोर्डेड) व्यापारियों में चाय विक्रेता, फल विक्रेता, सड़क के किनारे और फुटपाथ पर बैठने वाले विक्रेता (भारतीय रिजर्व बैंक के मुख्यालय, मुंबई के सामने फुटपाथ पर विक्रय करने वाले प्रवासी फल विक्रेताओं सहित), जैसे विभिन्न क्षेत्रों के छोटे व्यापारी आदि शामिल हैं.
इसके अलावा, विभिन्न केंद्रों (आउटलेट्स) पर डिजिटल रुपये में लेनदेन को सक्षम बनाने के लिए खुदरा श्रृंखला, पेट्रोल पंप आदि जैसे संस्थागत व्यापारियों को भी साथ लिया (ऑन-बोर्ड) गया है. कुछ ऑनलाइन व्यापारियों को भी उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए डिजिटल रुपया स्वीकार करने में सक्षम बनाया गया है. पायलट परियोजना के लगभग तीन महीनों में, चुनिंदा स्थानों में प्रचलन में कुल डिजिटल रुपया – खुदरा (ई ₹-आर) 4,14 करोड़ रुपया है.
पायलट परियोजना के दौरान विभिन्न उपयोग मामलों, प्रौद्योगिगीय वास्तुकला और डिजाइन विशेषताओं का परीक्षण किया जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आयोजित मीडिया अभियानों और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच डिजिटल रुपये की विशेषताओं के संबंध में जागरूकता फैलाई जा रही है. पायलट परियोजनाओं के दौरान प्राप्त फीडबैक के आधार पर उपयोग मामले के विस्तार सहित आगे के कदम चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति के माध्यम से उठाए जाने हैं.अब तक 130 करोड़ से ज्यादा का डिजिटल रुपी लेन-देन हो चुका
यहां पूरे जवाब में यह देखा जा सकता है कि डिजिटल रुपये का चलन करीब 130 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. यानि धीरे धीरे यह बाजार की ईकाइयों में जा रहा है और इसे स्वीकार्यता मिल रही है. यानि अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं जब यह हकीकत बनकर लोगों के पास होगी. इसे पीएम नरेंद्र मोदी का कालेधन पर अटैक का अगला हथियार समझा जा सकता है. इसे यह भी कहा जा सकता है कि मोदी अपने अगले मिशन में लग चुके