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अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार छठ व्रत….

पटना । छठ पर्व (Chhath Vrat) के विधान का जिक्र मिथिला के प्रसिद्ध निबंधकार ने 1300 ईस्वी में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक कृत्य (Chhath Vrat) रत्नाकर में किया।

उसके बाद मिथिला के दूसरे बड़े निबंधकार ने 15वीं शताब्दी में कृत्य ग्रंथ में चार दिवसीय छठ पर्व का विधान विस्तृत रूप से दिया है। इसलिए षष्ठी तिथि उनके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।

1300 ईसवी के पहले चंदेश्वर ने छठ व्रत के ऊपर प्रकाश डाला। 1285 ईसवी में हेमाद्री ने चतुवर्ग चिंतामणि ग्रंथ में और 1130 ईसवी के आसपास लक्ष्मीधर ने कृत्य कल्पतरू में सूर्योपासना एवं षष्ठी व्रत का विधान बताया है।

सूर्य भगवान की पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष में सप्तमी के दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।

नवरात्रि में दुर्गा पूजा में 9 दिनों का विधान होता है दुर्गा जी केरूप की पूजा-अर्चना होती है। पांचवें दिन स्कंदमाता के रूप में दुर्गाजी की पूजा होती है। स्कंदमाता के रूप में पार्वती जी की पूजा सदियों से होती आई है।

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