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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रयोग कर रहे योग

रायपुर । राज्य (Experiment) में हर साल 18 हजार से ज्यादा नवजात की मौत जन्म के 2 हफ्ते के अंदर और 26 हजार से ज्यादा की मौत एक साल की अवधि में हो जाती है। 250 से ज्यादा बच्चे जन्म से ही हृदय रोग के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण के साथ गर्भावस्था के दौरान तनाव (Experiment) को भी बड़ी वजह माना जाता है।

इसी तरह की समस्याओं पर रोक लगाने के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है।13% से ज्यादा शिशुओं का वजन ढाई किलो से भी कम रहता है। बच्चों में विभिन्न प्रकार की शारीरिक-मानसिक विकृतियां भी हो रही हैं। आदिवासी इलाके में इस तरह के मामले बहुत अधिक बढ़ रहे हैं।

गर्भावस्था और प्रसव के बाद मां और शिशुओं की सेहत पर योग के असर का अध्ययन किया जा रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में मातृ मृत्यु दर 159 प्रति लाख गर्भवती है। सेहत को ध्यान में रखते हुए योगासन, प्राणायाम आदि करवाए जाते हैं।

http://vicharsuchak.in/seven-hours-of-rain-disrupted-life/

वेलनेस सेंटर के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों में भी योग की व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि प्रयोग सफल रहा तो बहुत जल्द इसे पूरे राज्य के आदिवासी अंचलों में भी लागू करेंगे। यूनिसेफ इसमें सहयोग दे रहा है, इसलिए सफर रहने पर इसे देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाएगा।

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