‘दोतरफा गेम या एनसीपी (एनसीपी )को जोड़ने की कवायद…

मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) (एनसीपी ) सुप्रीमो शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच हालिया मुलाकात ने फिर से अटकलें तेज कर दी हैं कि पार्टी में अब भी कुछ तो चल रहा है. शिवसेना के बाद, एनसीपी दूसरी पार्टी थी जिसमें विभाजन हुआ. पिछले महीने 2 जुलाई को अजित पवार एनसीपी के आठ अन्य विधायकों के साथ सीएम एकनाथ शिंदे-डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.
यहां एक बात यह भी ध्यान वाली है कि सीनियर और जूनियर पवार के बीच 12 अगस्त को पुणे में हुई यह बैठक में एनसीपी में हुए उस दो-फाड़ के बाद पहली नहीं, बल्कि चौथी मुलाकात थी. इन मुलाकातों का हर बार एक ही एजेंडा बताया गया और वह यह कि शरद पवार को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) विरोधी खेमे में शामिल होने के लिए मनाना और उनका आशीर्वाद लेना.
चाचा-भतीजे के बीच पिछली मुलाकात एक नामी उद्योगपति के बंगले में हुई थी, जो दोनों के करीबी बताए जाते हैं. सूत्रों के अनुसार, इस चौथी मुलाकात का नतीजा भी वही निकाला, जो पहली तीन का था… यानी शरद पवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके गठबंधन पैटर्न के खिलाफ विपक्षी मोर्चे भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) के साथ ही रहने पर अड़े हुए थे.
सीनियर पवार ने इस मुलाकात को ‘गुप्त’ बताने से भी इनकार कर दिया. बीते रविवार को मीडिया से बात करते हुए, शरद पवार ने कहा, ‘परिवार के वरिष्ठ सदस्य के रूप में, कोई भी मुझसे मिल सकता है. परिवार के किसी सदस्य से मिलने में क्या गलत है?…असली एनसीपी भाजपा से हाथ नहीं मिलाएगी.’
अजित का समर्थन, पवार का विरोध
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने दल को एकजुट रखने के लिए अजित पवार लगातार ही अपने चाचा शरद पवार से बातचीत की कोशिशें कर रहे हैं. अजित की राय है कि शरद पवार को विधानसभा के शेष सदस्यों (MLA), संसद सदस्यों (MP) और अन्य नेताओं के साथ, पीएम मोदी के विजन का समर्थन करना चाहिए और राज्य की सेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के उनके फैसले को स्वीकार करना चाहिए.
अजित ने वर्ष 2024 में पीएम मोदी को सत्ता में वापस लाने के लिए काम भी शुरू कर दिया है, जबकि शरद पवार मुंबई में विपक्षी मोर्चे ‘इंडिया’ की अगली बैठक में उद्धव ठाकरे के साथ मार्गदर्शन करेंगे. वहीं शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को हाल ही में सदन में एक बहस के दौरान मोदी सरकार पर हमला करते भी देखा गया था.
एनसीपी में टूट पर सब शांत
इन सबके बावजूद एनसीपी के दोनों गुट ‘विभाजन’ पर शांत हैं. दोनों पक्षों के नेता इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं या एक-दूसरे के रुख को लेकर उनकी आलोचना भी नहीं कर रहे हैं. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों गुट अपने रोजमर्रा के कामकाज सुचारू रूप से चला रहे हैं, जैसे कि कुछ भी नहीं बदला है. एक सूत्र के मुताबिक, इससे न केवल एमवीए के गठबंधन सहयोगियों के बीच, बल्कि सेना-भाजपा खेमे में भी संदेह का माहौल पैदा हो गया है.
महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि एनसीपी के दोनों गुट फिलहाल सेफ गेम खेल रहे हैं और 2024 के आम चुनाव के बाद उस समय की स्थिति को देखते हुए वे फिर से एक हो सकते हैं.
इस बीच एक चर्चा यह भी है कि अजित शरद पवार को अपने पक्ष में करना चाहते हैं, क्योंकि वह नहीं चाहते कि विभाजन जारी रहे और वह यह भी चाहते हैं कि अन्य विधायक भी सरकार का हिस्सा बनें. अजित ने सीएम शिंदे और फडणवीस के साथ उन नेताओं के लिए मंत्री पद पर बातचीत करने की इच्छा जताई है.
पवार परिवार के एक सदस्य ने अजित खेमे के नेता प्रफुल्ल पटेल के साथ बातचीत शुरू करने की पहल की है कि दोनों नेता मतभेदों को कैसे सुलझा सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि पटेल और परिवार के सदस्य के बीच कई बैठकें हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंततः पुणे में पिछले सप्ताहांत की मुलाकात हुई.
एनसीपी के एक सूत्र के मुताबिक, शरद पवार के एक करीबी नेता से भाजपा ने दो से अधिक मौकों पर संपर्क किया है, लेकिन उन्होंने उनसे पहले शरद पवार को मनाने के लिए कहा है.
दरअसल अजित को अपने चाचा की ताकत का एहसास है. इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब उनके एक भाषण ने सतारा लोकसभा उपचुनाव में उद्यनराजे भोसले जैसे मजबूत उम्मीदवार का पूरा खेल पलट दिया, जिससे कांग्रेस के श्रीनिवास पाटिल की जीत हुई.