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रात भूकंप के नेपाल ( Nepal) में दो झटके महसूस किए गए

काठमांडू: नेपाल ( Nepal) में गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात भूकंप के दो झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र बाजुरा के दाहाकोट में था. रिक्टर स्केल पर पहले भूकंप की तीव्रता 4.9 और दूसरे की 5.9 मापी गई. नेपाल के सुरखेत जिले के भूकंप विज्ञान केंद्र के एक अधिकारी राजेश शर्मा ने एएनआई को बताया कि पहला भूकंप रात 11:58 बजे (स्थानीय समय) पर आया, जबकि 1:30 बजे एक और भूकंप दर्ज किया गया. स्थानीय पुलिस ने बताया कि इस घटना में किसी के हताहत होने या नुकसान की सूचना नहीं है.

इस साल 24 जनवरी को भी नेपाल के गोत्री-बजुरा इलाके में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था. तब इसके कारण उत्तराखंड और दिल्ली-NCR के साथ-साथ उत्तर-भारत के कुछ अन्य राज्यों में भी कंपन महसूस किया गया था. कांप गया. चीन के शिक्वान्हे समेत दक्षिण-पश्चिम इलाकों में भी कंपन महसूस किया गया था. आपको बता दें कि नेपाल हिमालय की गोद में बसे होने के कारण खतरनाक भूकंपीय जोन में आता है. यहां 25 अप्रैल, 2015 को 7.8 मैग्निट्यूड का विनाशकारी भूकंप आ चुका है, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई थी और बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ था.

हिमालयी क्षेत्रों में भूंकप आने का सबसे बड़ा कारण दो महाद्वीपीय भारत और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच टकराव है. भारतीय प्लेट हर साल कुछ सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है और तिब्बती पठार के नीचे की ओर रास्ता बनाती है. यह खिसकाव भूकंप को ट्रिगर करता है. आप इसे रबर बैंड के उदाहरण से समझ सकते हैं. जब आप रबर बैंड को अपनी अंगुलियों में फंसाकर पीछे की तरफ खींचते हैं, तो एक तनाव पैदा होता है. उस तनाव में एनर्जी स्टोर होती है. आप जब रबर बैंड को छोड़ते हैं तो यह तनाव रिलीज होता है, इसमें स्टोर एनर्जी गतिज ऊर्जा में कन्वर्ट होती है.

हिमालयन रीजन में टेक्टॉनिक प्लेटों का यह जियोलॉजिकल शिफ्ट इसी टेंशन रिलीज के कारण होता है. इसका साफ असर सतह पर देखने को मिलता है. भूगर्भ विज्ञानिक रॉजर बिलहम ने 2015 में नेपाल में आए भूकंप पर की गई स्टडी के लीड ऑथर हैं. उन्होंने साल 2018 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वास्तविकता यही है कि फिलहाल कोई नहीं कह सकता आगे क्या होगा. भविष्य में आने वाले किसी भी भूकंप के बारे में जानकारी इतनी सटीकता से नहीं दी जा सकती. हो सकता है कोई बड़ा भूकंप आने वाले सप्ताह में दिखे, या फिर 500 साल तक भी ऐसी घटना न हो.

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