राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ( Erdogan)को कड़ी चुनौती

‘तुर्की का गांधी’: तुर्की में 14 मई 2023 में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. तुर्की के मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखकर लग रहा है कि दो दशक से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ( Erdogan) को इस बार विपक्ष से कड़ी चुनौती मिलने वाली है. दरअसल, विपक्ष ने इस बार अपनी तरफ से उस शख्स को चुनावी मैदान में उतारा है, जिसे तुर्की का गांधी कहा जाता है. यही नहीं, इस बार सभी विपक्षी दल राष्ट्रपति एर्दोगन के खिलाफ एकजुट होकर मैदान में उतर पड़े हैं. सभी विपक्षी दलों ने तुर्की के गांधी के नाम से मशहूर और रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के नेता कमाल किलिकडारोग्लु अपना नेता मान लिया है.
विपक्ष की एकजुटता को देखते हुए साफ लग रहा है कि एर्दोगन के लिए फिर राष्ट्रपति बनने की राह आसान नहीं होगी. वहीं, फरवरी 2023 में आए भयानक भूकंप के बाद लोग एर्दोगन से काफी नाराज हैं. भूकंप के बाद एर्दोगन के दौरों में हर जगह लोगों ने राष्ट्रपति का विरोध किया. ऐसे में ये प्राकृतिक आपदा भी राष्ट्रपति चुनाव में अहम भूमिका निभाएगी. बता दें कि एर्दोगन की सरकार ने भारत की ओर से हालिया मदद के बाद भी संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का ही साथ दिया.
कमाल को क्यों कहा जाता है तुर्की का गांधी
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के नेता कमाल किलिकडारोग्लु तुर्की में आम लोगों के अधिकारों, सामाजिक न्या और लोकतंत्र के बड़े पैरोकार के तौर पर पहचाने जाते हैं. विपक्ष का नेता चुने के बाद हर तरफ उनके समर्थकों की भीड़ नजर आ रही थी. लोग उत्साह से नारे लगा रहे थे. लोगों के अधिकारों के पैरोकार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के कारण लोग उन्हें ‘तुर्की का गांधी’ कहते हैं. जहां, किलिकडारोग्लु के विरोधियों को उनके विपक्ष का नेता बनने से हार का डर लग रहा है. वहीं, खुद कमाल के कई समर्थकों को लगता है कि उनमें समर्थकों को वोट में तब्दील करने की क्षमता नहीं है. हालांकि, कमाल का वादा है कि वह आम लोगों की राय लेकर ही तुर्की का शासन चलाएंगे.
राष्ट्रपति एर्दोगन पर कमाल ने साधा निशाना
विपक्ष के राष्ट्रपति प्रत्याशी कमाल ने मौजूदा प्रेसीडेंट रेसेप तैयप एर्दोगन पर निशाना साधते हुए कहा कि 2018 को सत्ता में आनो के बाद एर्दोगन ने तुर्की में प्रेसिडेंशियल सिस्टम लागू कर दिया है. उनका वादा है कि वह तुर्की को फिर संसदीय व्यवस्था की ओर लेकर जाएंगे. वह कहते हैं कि उनकी सरकार का लक्ष्य देश में विकास और शांति लाना होगा. बता दें कि तुर्की के सबसे पुराने राजनीतिक दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी को मॉडर्न टर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने बनाया था. अब कमाल देश के अल्पसंख्यकों के साथ ही दक्षिणपंथी दलों के साथ गठबंधन की कवायद में जुटे हैं. इससे राजनीतिक संतुलन उनके पक्ष में हो जाएगा.
एर्दोगन सरकार पर भ्रष्टाचार का लगाया आरोप
कमाल ने राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की सरकार पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के कारण तुर्की में भवनों का निर्माण बिना सभी मानकों को पूरा किए ही कर दिया गया. इससे फरवरी में भूकंप आने पर ज्यादातर खराब भवन मलबे में तब्दील हो गए और 45,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. हजारों परिवार इस समय एर्दोगन सरकार के कारण ही शोक में डूबे हैं. उन्होंने कहा कि इस त्रासदी में हजारों बच्चे अनाथ हो गए. अगर भवन निर्माण में भ्रष्टाचार को रोका गया होता तो देश को इतनी बड़ी त्रासदी नहीं झेलनी पड़ती. साफ है कि कमाल को सभी विपक्षी दलों का साथ तो मिल ही रहा है. मौजूदा हालात और उससे पैदा हुआ लोगों का गुस्सा भी उनके ही पक्ष में है. ऐसे में एर्दोगन के लिए चुनाव में बड़ी चुनौती और मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं.
महंगाई भी बन सकती है हार की वजह
एर्दोगन के कार्यकाल में तुर्की की करेंसी लीरा में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. तुर्की में भूकंप आने से पहले ही महंगाई 85 फीसद तक बढ़ने की वजह से एर्दोगन की लोकप्रियता में कमी आ गई थी. अब महंगाई के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इसके साथ ही एर्दोगन के शासनकाल में इजरायल के साथ तुर्की के रिश्तों में आक्रामकता देखी गई है. एर्दोगन ने सत्ता में आने के बाद से तुर्की को पवित्र, संरक्षणवादी समाज और आक्रामक क्षेत्रीय ताकत का रूप दे दिया है. तुर्की की राजनीति पर नजर रखने वाली स्ट्रेटजिक एडवायजरी सर्विसेज के के मुताबिक, 74 वर्षीय कमाल ने तुर्की के लिए अलग विजन पेश किया है. ऐसे में 14 मई 2023 को होने वाले चुनावों में विपक्षी दलों को जीत मिल सकती है.