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लोकटक झील के अस्तित्व पर खतरा

इम्फाल । मणिपुर (Existence) की राजधानी इम्फाल से 32 किमी दूर पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी झील है लोकटक। पूर्वोत्तर भारत के इकोसिस्टम में स्वच्छ पानी की इस झील का महत्वपूर्ण स्थान है। लोकताक डेवलपमेंट अथॉरिटी (LDA) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एल भगतोन सिंह ने बताया कि राज्य सरकार झील के अस्तित्व (Existence) को लेकर गंभीर है।

15 दिन के अंदर अगर लोग खुद से इन झोपड़ियों और होम स्टे को नहीं तोड़ते हैं तो सरकार तोड़ देगी।‌ टूरिस्टों को नाव के जरिए इन झोपड़ियों तक पहुंचाया जाता है। बारिश में झील का क्षेत्रफल बढ़कर 500 वर्ग किमी हो जाता है, जो कि मणिपुर के 3 जिले बिशनुपुर, थोवांग और कचिंग तक फैल जाता है।

मछली पालन के अलावा इस झील में सब्जियां भी उगाई जाती हैं। टूरिस्टों की बढ़ती संख्या और इस पर लगातार बन रहे होम स्टे के कारण इस झील के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। स्थानीय नागरिक और सोशल वर्कर इस नंदकुमार ने बताया कि जेली, कुम्ब्रेक, लोट्स लीफ समेत खाने के लिए कई चीजें झील से मिलती है।

झील लोगों की पालनहार है। लिहाजा, मणिपुर सरकार ने अगले 15 दिन में झील पर बने 300 से अधिक फ्लोटिंग हट्स (तैरती झोपड़ियां) और होम स्टे को तोड़ने का आदेश दिया है। अक्टूबर में यहां लोकटक डे मनाया जाता है। टूरिस्ट के कारण झील में लगातार प्लास्टिक वेस्ट बढ़ रहा था। वहीं हट्स चलाने वाले झील में ही कचरा फेंक रहे थे।

ये झोपड़ियां और होम स्टे झील की फुमदी (तैरते बायोमास) पर बने हैं। प्राकृतिक रूप से बने फुमदी के ऊपर झोपड़ियां और होम स्टे बनाए गए हैं जो तैरते रहते हैं। चिंता का कारण यह है कि इन अवैध झोपड़ियां और होम स्टे की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वीकेंड पर यहां लोकटक झील में ज्यादा भीड़ रहती है।

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