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मानव उत्पत्ति का खतरा

रामजी लाल गोस्वामी:एक गाँव,माधव नगर के 75 वर्षी रिटायर्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी धर्मेंद्र सिंह राठौर की जब 21 वर्षीय की उम्र में शादी टीकमगढ़ के प्रोफेसर रामकरण की 20 वर्षीयबेटी रूपवती से हुई थी। तब धर्मेंद्र के पिता ठा वासुदेव रूप रंग मेंअति सुंदर गोरी आकर्षक बहु को पाकर बहुत खुश हो रहे थे। सास रामवती भी बहू की सुंदरता धार्मिक आचरण व्यवहार से बहुत खुश रहती थी । वहू रूपवती भी इस बात से बहुत रहती थी कि उसके पति डॉक्टर है और उसकेसास ससुर भी दयालु अच्छे स्वभाव के हैं । जब डॉक्टर धर्मेंद्र के दो पुत्र एक कन्या पैदा हुई तो धर्मेंद्र को अपार खुशी हुई थी। धर्मेंद्र को इस बात की अति खुशी हुई थी कि जबकोई हाल-चाल नहीं पूछारहा होगा तब बुढ़ापे में यह संतान उसे सुखसुविधा देगी। धर्मेंद्र के पिता ने धर्मेंद्र की हरसंतान के पैदा होने के बाद कथा भागवत कराई थी और गांव पड़ोस तथा रिश्तेदारों को बुला कर बहुत बड़े प्रीत भोज समारोह भी आयोजित कराए थे। धर्मेंद्र की पत्नी तथा धर्मेंद्र स्वयं माता-पिता की खूब सेवा करते थे। उन्होंने हर प्रकार से खुश रखते थे ।अच्छे लड़का बहू को पाकर धर्मेंद्र के पिता भी बहुत खुश रहते थे और धर्मेंद्र को आत्मा से दुआएं देते रहते थे।इसीलिए माता-पिता की दुआओं से धर्मेंद्र का परिवार खुशहाली की जिंदगी जी रहा था।

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डॉ धर्मेंद्र ने भी अपने पिता वासुदेव कीतरहअपनी संतान को पढ़ने लिखने अच्छा इंसान बनने के लिए तन मन धन से हमेशा कोशिश करते रहे ।बड़े लड़के सत्यदेव को एम ए तक की शिक्षा दिलाकर बैंक में मैनेजर बनवा दिया था । छोटे लड़के रामदेव को अमेरिका भेज कर डॉक्टर की पढ़ाई कराके डॉक्टर बना दिया। जो अमेरिका में ही लव मैरिज कर के अपनी पत्नी के साथ अमेरिका में बस गया । छोटी लड़की मोहनी देवी डॉक्टरी की पढ़ाई करके डॉक्टर बन गई और उसकी भी मेरठ अस्पताल में सरकारी नौकरी लग गई । बड़े लड़के सत्यदेव की बैंक में नौकरी लगते ही उसकी शादी मिल मालिक मोहन स्वरूप की वीए तक पढ़ी लिखी आधुनिक फैशन पश्चात सभ्यता में पली हुई सुधा के साथ हो गई थी। लड़की मोहनी की भी शादी डॉक्टर बलदेव से हो गई थी और डॉक्टर मोहिनी भी अपने डॉक्टर पति के साथ मेरठ में रह रही थी । इस प्रकार डॉक्टर धर्मेंद्र रिटायरमेंट होने के पहले अपने पारिवारिक दायित्व से मुक्त हो गये थे।
रिटायरमेंट के बाद डॉ धर्मेंद्र अपनी पुरानी कोठी मे माता-पित अपनी पत्नी बड़े बेटा बहू के साथ बड़ी सुखी जिंदगी जी रहे थे।धर्मेंद्र अपनी पूरी पेंशन से ही अपनी पूरी गृहस्थी चला रहे थे। बड़ा लड़का सत्यदेव अपनी नौकरी का पूरा वेतन अपनी पत्नी और अपने ऊपर खर्च करके भोग विलास कीजिंदगी जी रहे थे। सत्यदेव ने एक कीमती गाड़ी भी खरीद रखी थी । जिस से उसकी पत्नी आए दिन मायके चली जाती थी। सास ससुर की सेवा में कोई ध्यान नहीं रखती थी। घर में नौकर चाकर होने के कारण माता-पिता भी कुछ नहीं कहते थे।

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भाग्य चक्र समय का पहिया बड़ी तेजी से घूम रहा था। अपनी 100 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर धर्मेंद्र के पिता वासुदेव बुखार आने पर अचानक चल बसे। पिता के निधन के बाद 76 वर्षीय रिटायर मुख्यचिकित्सा अधिकारी ठाकुर धर्मेंद्र सिंह बहुत दुखी रहने लगे थे। क्योंकि रिटायरमेंट होने पर अपने सुख दुख की बात पिता से कह कर अपने मनको हल्का कर लेते थे । पिता के दुखद निधन के बाद एक दिन धर्मेंद्र को हार्ट अटैक पड़ा और हार्ट अटैक से उनकी दुखद मृत्यु हो गई। धर्मेंद्र की 63वर्षीयपत्नीरूपवती विधवा हो गई । पति धर्मेंद्र सिह की मृत्युकेबादपत्नी रूप वती का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था।
पिता धर्मेंद्र की मृत्यु का समाचार पाकरउनकाछोटा लड़का रामदेव अपनी पत्नी के साथ अमेरिका सेतथा धर्मेंद्र की लड़की मोहनीअपने पति बलदेव के साथ मेरठ से आ गई। पिता का मृतक शरीरदेखकरछोटा लडका और लड़की दहाड़ दहाड़ मार कर रोने लगी । मोहनी रो-रो कर कह रही थी– भैया सत्यदेव ने तो हमको खबर तक नहीं की ।अंतिम समय पिता से बात भी नहीं कर सकी। एकांत में बुलाकर बड़े लड़केसत्यदेव ने धीरे से अपनी पत्नी को समझाया इस समय तुम्हें हर हालत में माता जी को इतना अपनात्व दिखाना है कि वह अपनी लड़की छोटे लड़के के साथ यहां से ना चली जाए ।माता जी को पिताजी कीपेंशनमिलती रहेगी । अब माताजी भी पिताजी की तरह सोने के अंडा देने वाली मुर्गी है । पति की बात सुन कर पत्नी खुश हो गई और बोली– ऐसा ही सब ड्रामा करूंगी। माता जी कोकिसीकीमत पर घर से नहीं जाने दूंगी।
रिश्तेदार घर भाइयों के आने पर बड़े शौक वातावरण में रिटायर्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी ठाकुरधर्मेंद्रका विशाल भीड़ के बीच दाह संस्कार हो गया। 13 दिन के बाद जब सभी,काम काज शोक वातावरण पूरे हो गए तो छोटे लड़का रामदेव ने माता को धैर्य बधाते हुए कहा– अम्मा अब आप मेरे साथ अमेरिका चले। मैं और मेरी पत्नी दोनों आपकी सेवा करेगी ।,पास खड़ी रामदेव की पत्नी ने रोती हुई सास के आसू पोछते हुए कहा- माताजी यह ठीक कह रहे हैं। आप मेरे साथ चलिए ।यह डॉक्टर भी है इसलिए आपका इलाज भी होता रहेगा । तभी पास खड़ी हुई बड़े लड़के की बहू बोली -माता जी का अमेरिका में मन नही लगेगा। यहां पास पड़ोस की औरतें आती रहेगी और माता जी को सांत्वना भी देती रहेगी। मैं यहां उनकी अच्छी तरह से सेवा करूंगी । मां के पास बैठी हुई बेटी बोली- मां अगर तुम अमेरिका नहींजासकती हो तो मेरे साथ मेरठ चलो। मैं तुम्हारी अच्छी से तरह से देखभाल करूंगी । मैं डॉक्टर हूं ।तुम्हारा इलाज भी करती रहूंगी । पास खड़ी बड़ी बहू ने लड़की की बात को काटते हुए कहा- पिताजी यहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी रह चुके हैं । इसलिए सभी डॉक्टर हम लोगों से लगाव रखते हैं। माता जी का इलाज अच्छा होता रहेगा। लड़की चिड़ते हुए बोली ‘–अगर यहां डॉक्टर पिताजी और बाबा का अच्छा इलाज कर देते तो अचानक नहीं मर जाते। पास खड़े बड़े भाई ने कहा- क्या मैंने पिताजी बाबा का इलाज नहीं कराया ? अगर इलाज नहीं कराया होता तो इतनी बड़ी उम्र कैसे पाए जाते। छोटा लड़का और लड़की बड़े भाई की बात को सुनकर चुप हो गए । दो दिन बाद अम्मा को बड़े भाई भाभी को सौंप कर छोटा लड़का अपनी पत्नी के साथ अमेरिका चला गया और लड़की भीअपने पति के साथ मेरठ चली गई। छोटा लड़का लड़की के चले के बाद 2 महीना तक बड़े लड़का और उसकी पत्नी ने सास रूपवती की खूब खुशामद सेवा की । मृतक पिता की पेंशन जब रूपवती के नाम पर बैंक में आने लगी। तो बड़ा लड़का मां से चेक पर दस्तक करा के बैंक से पें शन का पैसा निकलने लगा । मां के हाथ पर ₹1000 रखकर बाकी ₹24000 खुद खाने लगा।

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एक दिन बैंक से पैसा निकालने के लिए बड़े लड़के सत्यदेव ने 5 चेको पर मां के दस्तक कराए तो मां बोली कौरे चेक पर दस्तक क्यों कर रहा है ? तो सत्यदेव बोला? कभी-कभी चेक गलत भरा जाता है तो उसे काटना पड़ता है और नया चेक बनना पड़ता है ।क्या मां तुझको मुझ पर विश्वास नहीं है? मां बोली ऐसी बात नहीं है । सत्य देव ने बैंक से पैसा निकालने के लिए मां से दो-तीन औरकोरे चेको पर हस्ताक्षर कर लिए । दोतीन महीना पैसा तो देता रहा लेकिन बाद में कहने लगा अब पेंशन बंद हो गई है । मैं अपने पास से ₹500 तुम्हें दे रहा हूं ।इसी से अपना खर्चा चलाओ। मां लड़के की बात को सही मानकर ₹500 पर ही संतोष करने लगी। इसी पैसे से अपनी दवाइयां का खर्चा चलाती रही।
धीरे-धीरे बहु बेटा का व्यवहार अपनी मां के प्रति बदलने लगा। बहू सास से चौका बर्तन घर की सफाई का काम लेने लगी। लाचारी में रूपवती सुबह शाम पूरे घर की सफाई करती। खाए हुए बर्तनों को माजती। कभी-कभी वाशिंग मशीन से बहु बेटे के कपड़ा भी धो देती। इस प्रकार बेटा बहू ने मां को घर की नौकरानी बना रखा । बुढ़ापे के शरीर होने के कारण कभी-कभी जब उसे यह काम नहीं होता तो बहू गुस्से में आकर सास पर हाथ भी उठा देती थी। बेटा खड़ा-खड़ा देखा रहता था ।अपनी पत्नी से कुछ नहीं कहता था। एक दिन बुखार आ जाने पर रूपवती जब खटिया से नहीं उठी तो बहू ने आकर झकझोर कर उसे जगाया और चारपाई से जब उठा रही थी तो बुखार के कारण सास धरती पर गिर गई और सास के काफी चोट आ गई। धरती पर पड़ी हुई सास चोट के दर्द से कराहती रही। किंतु बहू को कोई रहम नहीं आया। जब लड़का घर आया । उसने भी मां से कोई हाल-चाल नहीं पूछा। फर्श पर पड़ी मां जब दो दिन बुखार के कारण चारपाई पर लेटने के लिए उठा नहीं गया तो उसने इशारे से लड़के को बुलाया और कहा- बहु तो पराए घर सेआई है ।तुझको तो मैंने पाल पोष कर बड़ा किया है। तुझे भी मुझ पर रहम नहीं आ रहा है । अच्छा हो मेरे छोटे लड़का लड़की को खबर कर दे या मुझे लाकर जहर दे दे ।मां से लड़का तो कुछ कह नहीं पाया बहू ने आकर सास को झक छोड़ते हुए उठाकर चारपाई पर पटक दिया और बोली- तू तो दुकड़िया जहर खा कर भी नहीं मारेगी। इतना कहकर बहू चली गई और लड़का भी चला गया।
एक दिन सपने मे लड़की ने मां को मरा हुआ देखा तो वह घबरा गई और पति को लेकर मां के पास आ गई। तो उसने देखा चोटिल मां बुखार में पड़ी हुई दर्द के मारे रो रही थी। लड़की ने मां को उठाया और पास बैठकर जब मां से पूरी बात सुनी तो उसे अपने भाई भाभी पर क्रोध आ गया। उसने भाभी को बुलाते हुए कहा– भाभी तुमने मेरी मां की यह दशा कर दी ।मां के साथ इतना बुरा व्यवहार किया जो कोई दुश्मन के साथ भी ऐसा नहीं करता है? भाभी बिगड़ते हुए बोली –तुम्हारी मां झूठ बोल रही है । खुद ही गिर गई और मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रही है । अच्छा हो इसे यहां से ले जाओ। लड़की बोली- भाभी मै सब कुछ जान चुकी हूं। पहले मां का इलाज करआऊंगी। बाद में आपको बताऊंगी। लड़की मां को लेकर अस्पताल पहुंची और अपना परिचय देकर मां को अस्पताल में भर्ती कर दिया । डॉक्टर से मिलकर मां का इलाज कराया ।एक हफ्ते के बाद मां अच्छी हो गई। मां की बीमारी की खबर सुनकर छोटा लड़का भी आ गयाथा। जब मां अच्छी हो गई और घर आ गई तो छोटे लड़के और लड़की ने अपने बड़े भाई से बुरे शब्द बोलते हुए कहा- ना तो तू मां का लड़का है और ना तू मेरा अब भाई है ।तेरे तथा तेरी पत्नी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट की जाएगी कि तूने मेरी मां की हत्या करना चाहिए थी । मां का जो पेंशन का पैसा तूने हड़प है वह तुझे पाई पाई वसूलकीजाएगी। छोटे भाई बहन की बातों को सुनकर बड़ा भाई क्रोधित होकर बोला- तुम लोगों को जो करना है करो जाकर। अब इस डोकरी को एक पल भी घर में नहीं रहने दूंगा ।छोटे लड़के और लड़की ने मां को कोतवाली में ले जाकर बड़े भाई के खिलाफ में रिपोर्ट दर्ज कर दी और जर जमीन पैसा लेने के लिए मां की हत्या करने का आरोप लगा दिया । रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस हरकत में आ गई। मां के बयानों के आधार पर बड़े लड़के और उसकी बहू को पुलिस कोतवाली में ले आई। हवालात में बंद करके अदालत द्वारा उन्हें जेल भेज दिया ।
कैस चलने पर मां के बयान पुलिस की जांच रिपोर्ट तथा मां की पेंशन के पैसे बैंक से निकलने के आरोप में मृतक धर्मेंद्र के बड़े लड़के सत्यदेव तथा उसकी पत्नी सुधा इन दोनों को 10 साल की सजा हो गई। सत्यदेव को जैसे ही कोर्ट से सजा हुई। बैंकनेसत्यदेव को नौकरी से निकाल दिया और उसके खाते में पड़े हुए सभी पैसे को कोर्ट के आदेश पर स्वर्गी धर्मेंद्र की पत्नी रूपवती को दे दिया गया । सत्यदेव औरउसकी पत्नी सुधा ने अदालत तथा अपने भाई रामदेव बहन मोहनी मां रूपवती से काफी माफी मांगी और बहन भाई मां के माफी देने पर भी कोर्ट नहीं माना और सजा बहाल रखी। कोर्ट का कहना था अगर बूढ़े मां-बाप के साथ लड़कों का यह जघन्य अपराध को अनदेखा किया जाता रहा तो सामाजिक व्यवस्था ही समाप्त हो जाएगी। कोई भी माता-पिता अपनी संतान कोनहीं पालेगा। मानव उत्पत्ति ही बंद हो जाएगी। आज की पीढ़ी को यह बात गंभीरता से सोचना चाहिए । आज की युवा पीढ़ी बूढ़े मां-बाप की सेवा करें ।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी