अंतराष्ट्रीय

जो आग से खेलते हैं, अक्सर जल जाते हैं(burned); जिनपिंग

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार देर रात चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की. करीब 2 घंटे 17 मिनट चली इस बातचीत में जिनपिंग का रवैया काफी तल्ख रहा. ताइवान में अमेरिकी दखलंदाजी से नाराज चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने बाइडन को एक तरह से सीधी धमकी दे दी. जिनपिंग ने कहा- ‘मैं आपसे सिर्फ इतना कहूंगा कि जो लोग आग से खेलने की कोशिश करते हैं, वो जल जाते (burned) हैं.’
इस वॉर्निंग के सीधे मायने ये हैं कि दोनों देशों के बीच कड़वाहट तेजी से बढ़ रही है. चीन को यह कतई मंजूर नहीं है कि अमेरिका और बाइडन प्रशासन ताइवान की मदद करे.

बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह जिनपिंग के साथ उनकी पांचवी बातचीत थी. व्हाइट हाउस ने बताया कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत अमेरिकी समय के अनुसार, सुबह 8:33 बजे शुरू हुई और सुबह 10:50 बजे खत्म हुई. इस दौरान दोनों नेताओं ने जटिल रिश्तों के भविष्य पर चर्चा की. अमेरिका और चीन के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं. बाइडन और शी ने आखिरी बार रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के कुछ समय बाद मार्च में बातचीत की थी.

जिनपिंग बोले- एक चीन नीति हमारे संबंधों का आधार
बातचीत के दौरान शी जिनपिंग ने ताइवान के सवाल पर चीन की सैद्धांतिक स्थिति के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि ताइवान के प्रश्न के ऐतिहासिक पहलू स्पष्ट हैं. एक चीन का सिद्धांत चीन-अमेरिका संबंधों के लिए राजनीतिक आधार है. चीन ताइवान की स्वतंत्रता की ओर ले जाने वाले अलगाववादी कदमों और बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप का दृढ़ता से विरोध करता है. चीन किसी भी रूप में ताइवान की स्वतंत्रता को मजबूती देने वाली ताकतों का विरोध करता है. ताइवान के सवाल पर चीनी सरकार और लोगों की स्थिति स्पष्ट है.

बातचीत पर चीन ने क्या कहा?
इस बातचीत के बाद चीन ने लंबा-चौड़ा बयान जारी कर ताइवान को लेकर अमेरिका को खूब सुनाया है. चीन ने कहा कि 28 जुलाई की शाम को राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अनुरोध पर फोन पर उनसे बात की. दोनों राष्ट्रपतियों के बीच चीन-अमेरिका संबंधों और हित के मुद्दों पर स्पष्ट संवाद का आदान-प्रदान हुआ. राष्ट्रपति शी ने कहा कि आज दुनिया में अशांति और परिवर्तन के रुझान विकसित हो रहे हैं, और विकास और सुरक्षा में बड़ी कमी आ रही है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय और दुनिया भर के लोग उम्मीद करते हैं कि चीन और अमेरिका विश्व शांति और सुरक्षा को बनाए रखने और वैश्विक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे. यह दो प्रमुख देशों के रूप में चीन और अमेरिका की जिम्मेदारी है.

इस तल्खी की वजह क्या है?
माना जा रहा है कि अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी अगले हफ्ते ताइवान के दौरे पर जा रही हैं. 25 साल बाद अमेरिका का कोई इतना बड़ा नेता ताइवान के आधिकारिक दौरे पर जा रहा है. यह चीन के लिए साफ संकेत है कि अमेरिका अब ताइवान को अकेले नहीं छोड़ेगा और उसको हर स्तर पर मदद देगा. चीन को यह सख्त नामंजूर है. यही वजह है कि चीन कई दिनों से अमेरिका को नतीजे भुगतने की धमकी दे रहा है.

चीन का दावा- बाइडन ने ताइवान की स्वतंत्रता को नकारा
चीन ने दावा किया कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अमेरिका की एक-चीन नीति नहीं बदली है और न ही बदलेगी. अमेरिका ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है. हालांकि, अमेरिका ने इस बयान पर अभी प्रतिक्रिया नहीं दी है. कुछ महीने पहले ही बाइडन ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि ताइवान की स्वतंत्रता की रक्षा करना अमेरिका की जिम्मेदारी है और अगर ताइवान पर हमला होता है तो अमेरिका अपनी सेना को तैनात करेगा.
ताइवान को अमेरिकी हथियार
बुधवार को पहली बार ताइवान मिलिट्री के तीनों विंग्स ने वॉर एक्सरसाइज की. इस दौरान सिर्फ चीन से निपटने की स्ट्रैटेजी पर फोकस किया गया. ताइवान मिलिट्री ने अमेरिका से खरीदी गईं मिसाइलों का टेस्ट किया. इन्हें वॉरशिप और फाइटर जेट्स पर लगाकर भी देखा गया. इसके अलावा अमेरिकी ड्रोन भी इस्तेमाल किए गए. कहा जा रहा है कि अमेरिकी फौज ने नैंसी पेलोसी को फिलहाल, ताइवान न जाने की सलाह दी है. फौज का मानना है कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग चल रही है और ऐसे में अगर ताइवान में कोई संघर्ष होता है तो यह मामला बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.

 

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