सूर्य के उत्तरी ( Sun’s north )ध्रुव की सतह के ऊपर ये भंवर सी आकृति
खगोलीयघटनाएं :खगोलीय पिंडों में कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जिनसे अजीब नतीजे निकाले जा सकते हैं. कई बार ये नतीजे सही भी निकलते हैं. तो कई बार कुछ और ही नतीजे निकलते हैं वे ही अजीब होते हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक किसी भी नतीजे पर जल्दी नहीं पहुंचते हैं और संभावित नतीजों की पुष्टि और परीक्षण करते रहते हैं. ऐसी ही एक घटना सूर्य की सतह ( Sun’s north ) पर हुई है. वहां उत्तर ध्रुव पर एक हिस्सा उठता दिख रहा है जो एक भंवर के आकार है और देखने पर ऐसा ही लग रहा है कि सूर्य से कुछ अलग हो रहा है.
एक ट्वीट में जिक्र
इस अवलोकन को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की वजह से यह अवलोकन संभव हो सका है. और इसमें हैरानी की बात नहीं है इसने वैज्ञानिक जगत में एक कौतूहल तो पैदा कर ही दिया है. तामिथा स्कोव नाम की मौसम भौतिविद ने सोशल मीडिया पर इसी रोचक घटना का जिक्र कर ट्वीट किया है जिसमें नासा का वह छोटा सा वीडियो भी शामिल है.
ध्रवीय भंवर की बात
अपने ट्वीट में स्कोव ने लिखा है, “ध्रवीय भंवर की बात करें. अभी हमारे तारे उत्तरी ध्रुव के पास पदार्थ एक तंतु से अलग होता दिखाई दिया है और एक विशाल ध्रुवीय भंवर के रूप में घूम रहा है. सूर्य के वायुमंडल की गतिकी जो उसके 55 डिग्री अक्षांश के ऊपर हो रही है, उस के प्रभावों के बारे में ज्यादा नहीं कहा जा सकता है.
क्या हो सकता है ये
जहां एक और इस परिघटना पर भ्रम की स्थिति है, इसका संबंध सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड के पलटाव से भी हो सकता है. वहीं इसका संबंध सूर्य का हर 11 साल तक चलने वाले सौर चक्र से भी हो सकता है जिसका इस स्थान पर असर होता है. वही कई भौतिकविदों का मानना है कि यह घटना अनपेक्षित नहीं हैं. ऐसी घटना सौर चक्र में एक बार इसी स्थान पर होती है.
बढ़ता हुआ सौर प्लाजा
कोलोराडो में बोल्डर स्थित नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक रिसर्च के सौर भौतिकविद और उपनिदेशक स्कॉट मैकिनटोश ने कहा कि इस तरह का भंवर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है, सूर्य के 55 डिग्री अक्षांश पर कुछ अजीब हो रहा है जिसका संबंध 11 साल के सौर चक्र से है. उन्होंने इसे बढ़ते हुए सौर प्लाज्मा बताया है.
नहीं मिले हैं कई सवालों के जवाब
वैज्ञानिकों को यह नहीं पता है कि सौर चक्र में 11 साल में होने वाले बदलाव से ऐसे प्रभाव क्यों देखने को मिलते हैं. यह एक बार में ध्रुव की ही तरफ क्यों जाता है और वापस आने के बाद फिर से गायब क्यों होता है. यह पूरी प्रक्रिया तीन चार साल तक चलती है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि एक ही जगह से शुरू होकर उसी जगह पर खत्म कैसे हो जाता है.
सौर चक्र और चुम्बकीय क्षेत्र
वैज्ञानिकों ने नियमित तौर पर अवलोकित किया है कि प्लाजा के तंतु ध्रुव से टूट कर अलग होते रहे हैं. लेकिन उन्होंने ऐसा भंवर अब तक खुद नहीं देखा था. वे जानते हैं कि सूर्य का ध्रुवीय इलाका तारे के चुम्बकीय क्षेत्र को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है जिसके कारण 11 साल की चुक्रीय गतिविधि होती है. वे अभी तक इसे सीधे तौर पर अवलोकित करने की स्थिति में नहीं आए हैं.
मैकिनटॉश कहते हैं कि हम सूर्य को ग्रहों की तल से ही अवलोकित कर पाते है, इसी तल में सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं. आने वाले सालों में यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सोलर ऑर्बिटर अभियान इस मामले में और रोशनी डाल सकता है जो की सूर्य की बुध ग्रह की कक्षा से तस्वीरें लेगा. उस समय उसकी कक्षा 33 डिग्री का झुकाव लिए होगी. लेकिन मैकिनटोश का मानना है कि यह ध्रुवीय भंवर के रहस्य का खुलासा करने के लिए काफी ना हो.