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मिले लिथियम भंडार के खनन में यह देश (country)करेगा मदद,

नई दिल्ली. चिली सबसे अधिक लिथियम भंडार वाला देश और दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक लिथियम उत्पादक कंपनी एसक्यूएम का घर है. अब देश (country) भारत के साथ लिथियम के खनन करने के लिए साझेदारी करने का इच्छुक है. इसमें जम्मू और कश्मीर) में रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन के नव स्थापित ‘अनुमानित’ लिथियम संसाधनों के उपयोग में संभावित तकनीकी विशेषज्ञता भी शामिल है.

चिली के विदेश मंत्रालय के महासचिव एलेक्स वेटजिग ने कहा ‘अगर भारत सरकार औपचारिक रूप से कुछ भी शुरू करती है तो हम (इसके लिए) खुले हैं.’ उन्होंने शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के समकक्षों के साथ बैठकें कीं. इसमें व्यापार, टेक्नोलॉजी, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, खनन और शिक्षा सहित व्यापक क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई.

उन्होंने आगे कहा ‘वर्तमान में हमारे पास माल के व्यापार पर एक समझौता है, और निश्चित रूप से हम व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते में सेवाओं और निवेश को जोड़कर अपने आदान-प्रदान में सुधार करना चाहते हैं. हम सभी बाजारों, खासकर एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं. निश्चित रूप से, भारत एक बहुत ही दिलचस्प बाजार है क्योंकि यह बढ़ रहा है.

एलेक्स वेटजिग ने चिली के लिथियम खनन विशेषज्ञों की विशेषज्ञता के उपयोग की संभावना के बारे में संकेत दिया. उन्होंने कहा एसक्यूएम जैसी कंपनियां सफेद सोने के खनन में मदद करने के लिए तकनीक के हस्तांतरण के लिए खुली है. बता दें कि लिथियम-आयन रिचार्जेबल बैटरी का एक महत्वपूर्ण घटक जो इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), लैपटॉप और मोबाइल फोन में उपयोग किया जाता है.

वेटजिग ने संकेत दिया कि लिथियम पर भारत के साथ सहयोग व्यापार में एक व्यापक-आधारित साझेदारी का हिस्सा होगा जिसे चिली आगे बढ़ा रहा है. चिली से लिथियम की खरीद के लिए बैठकों में भाग लेने के लिए खनन मंत्रालय और नीति आयोग के एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अक्टूबर 2019 में चिली का दौरा किया था. वेटजिग ने आगे कहा ‘मारे पास ढांचा है और भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा दोनों पक्षों की कंपनियों के लिए निवेश के अवसर पैदा करने पर केंद्रित है.’

 

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