सेना के लिए ‘काल’ बने ये हेलिकॉप्टर!(helicopter )

नई दिल्ली. सशस्त्र बल पिछले छह महीने में हुए नए स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (helicopter ) (एएलएच) ‘ध्रुव’ की चार बड़ी दुर्घटनाओं से जूझ ही रहे थे कि सोमवार को राजस्थान में एक और मिग-21 लड़ाकू विमान हादसे का शिकार हो गया. इस घटना ने देश के सैन्य उड्डयन (मिलिट्री एविएशन) को ना सिर्फ चिंता में डाल दिया है, बल्कि ऐसे विमानों में होने वाली दुर्घटना दर को और बढ़ाया है. केवल पांच वर्षों में 50 से अधिक विमानों और हेलीकाप्टर दुर्घटनाओं में लगभग 55 सैन्य कर्मियों ने अपनी जान गंवाई है. पुराने मिग-21 विमानों के साथ-साथ चीता/चेतक हेलीकाप्टरों का बीते वर्षों में दुर्घटना रिकॉर्ड बेहद खतरनाक रहा है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर सोमवार को ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को बताया, ‘सिंगल-इंजन मशीन से चलने वाले मिग-21 और चीता/चेतक हेलीकॉप्टर को 1960 की दशक की शुरुआत में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. एयर फोर्स इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए तीन साल की एक समय सीमा को अंतिम रूप दिया था, लेकिन नए विमानों को शामिल किए जाने के अभाव में सशस्त्र बल क्या कर सकते हैं?’
पुरानी व अत्यधिक मांग वाली उड़ान मशीनों में आधुनिक वैमानिकी और निहित सुरक्षा सुविधाओं का अभाव, पायलटों एवं तकनीशियनों का अपर्याप्त प्रशिक्षण और निगरानी, खराब रखरखाव और कल-पुर्जों के गुणवत्ता नियंत्रण की कमी, ये सभी कुछ ऐसे अहम बिंदू हैं, जिनसे दुर्घटनाओं की दर तेजी से बढ़ी है. रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि लगभग 90% दुर्घटनाओं के लिए ‘मानव त्रुटियां (पायलट/ तकनीकी चालक दल)’ और ‘तकनीकी दोष’ जिम्मेदार हैं, जबकि शेष 10 फीसदी मामलों में ‘पक्षी से टकराना’ और अन्य कारण शामिल हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, वर्तमान में वायुसेना के पास तीन मिग-21 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें करीब 50 विमान हैं. वायुसेना ने साल 2022 में मिग-21 लड़ाकू विमान के बचे स्क्वाड्रन को सिलसलेवार तरीके से हटाने के लिए तीन साल की समय सीमा तय की थी. वायुसेना की योजना मिग-29 लड़ाकू विमानों के तीन स्क्वाड्रन को अगले पांच वर्षों में हटाने की भी है.
सोवियत संघ मूल के विमानों के बेड़े को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना वायुसेना के आधुनिकीकरण अभियान का हिस्सा है. सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना पटरी पर है.’ उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से हटाये जाने की योजना इन विमानों के हालिया दुर्घटनाओं से संबद्ध नहीं है.
वायुसेना के आधुनिकीकरण की योजना के तहत, रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फरवरी 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का एक सौदा किया था. वायुसेना ने अपनी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान भी खरीदे हैं. वह 114 ‘मेडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट’ (एमआरएफए) खरीदने की प्रक्रिया में भी शामिल है.
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट ने पिछले साल मार्च में राज्यसभा में यह बताया था कि बीते पांच वर्षों में सेना के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के विमान और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में 42 रक्षा कर्मियों की जान चली गई. गौरतलब है कि सोमवार सुबह राजस्थान के सूरतगढ़ स्थित एयर फोर्स स्टेशन से एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 विमान हनुमानगढ़ जिले के एक गांव में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. पुलिस के अनुसार, हादसे में तीन महिलाओं की मौत हो गई. हालांकि, विमान के पायलट सुरक्षित हैं.